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28 साल से केस लड़ते-लड़ते थक चुका है शिवनारायण का शरीर, आइओ ने रोका न्याय का रास्ता

रांची. कार्यपालिका और विधायिका से लोगों के खत्म हो रहे विश्वास के बीच लोगों की उम्मीद सिर्फ न्यायपालिका पर टिकी है, लेकिन कोर्ट पर मुकदमों का इतना बोझ है कि निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए न्याय पाना मुश्किल हो गया है. 16 अक्तूबर, 1987 को नामकुम के उन्नीडीह निवासी शिव नारायण राय […]

रांची. कार्यपालिका और विधायिका से लोगों के खत्म हो रहे विश्वास के बीच लोगों की उम्मीद सिर्फ न्यायपालिका पर टिकी है, लेकिन कोर्ट पर मुकदमों का इतना बोझ है कि निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए न्याय पाना मुश्किल हो गया है. 16 अक्तूबर, 1987 को नामकुम के उन्नीडीह निवासी शिव नारायण राय और उनके पुत्र पर जानलेवा हमला हुआ था. उस वक्त से वह केस लड़ रहे हैं. अब वह 88 साल के हो गये. ठीक से कुछ दिखाई भी नहीं देता और लाठी के सहारे चलते हैं.

12 जज अब तक उनके मामले की सुनवाई कर चुके हैं, लेकिन निर्णय नहीं हुआ. मामले के अनुसंधान अधिकारी (आइओ) नागेश्वर सिंह मामले के फैसले में बाधा बने हुए हैं. वर्ष 2006 से बार-बार कोर्ट द्वारा नोटिस भेजे जाने के बावजूद अपनी गवाही दर्ज नहीं करा रहे.
न्याय की आस में शिव नारायण 28 साल से लगातार अदालत के चक्कर लगा रहे हैं. हर तारीख पर कोर्ट आते हैं और नयी तारीख लेकर लौट जाते हैं. इस मामले में शिव नारायण राय, रिम्स के डॉक्टर सहित पांच महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही हो चुकी है. एक बार नागेश्वर सिंह की गवाही हो जाये, तो मामले का निबटारा हो सकता है. वर्ष 2006 से उन्हें कोर्ट से नोटिस जारी हो रहा है. कई बार एसएसपी को पत्र लिखा गया. बहरहाल, सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश बीके गौतम की अदालत ने एक बार फिर मामले की सुनवाई के लिए 13 जनवरी 2016 की तारीख तय कर दी है.
क्या है मामला
शिव नारायण राय 16 अक्तूबर, 1987 को अपने खेत में धान कटवा रहे थे. उसी वक्त उनके संबंधियों ने हरवे हथियारों से हमला कर दिया. गोली भी चलायी गयी. हमले में राय के पुत्र अशोक राय गंभीर रूप से जख्मी हो गये. उन्हें रिम्स में भरती किया गया. तीन महीने बाद वह स्वस्थ्य हुए. आनंद राय, जलेश्वर राय, लोकनाथ राय, बागेश्वर राय तथा जदुनाथ राय के खिलाफ शिव नारायण राय ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
मामले की सुनवाई को लगभग 28 वर्ष हो गये. सूचक भी बुजुर्ग हो गये हैं. अनुसंधान पदाधिकारी की गवाही नहीं होने के कारण अदालत फैसला नहीं सुना पा रही है. आइओ की गवाही के कारण लंबित है. अदालत ने गवाह बुलाने के लिए एसएसपी को कई बार पत्र लिखा, लेकिन गवाही नहीं हो पायी. आइओ की गवाही नहीं हो पाना पुलिस की बड़ी विफलता है.
अोम प्रकाश गाैरव, अधिवक्ता, सिविल कोर्ट, रांची

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