रांचीः सरकार ने दवा घोटाले में सीबीआइ द्वारा बनाये गये सरकारी गवाह को नौकरी से निकाल दिया है. इससे दवा घोटाले में आगे की जांच प्रभावित होने की आशंका जतायी जा रही है. सीबीआइ ने दवा घोटाले की जांच के बाद अरविंद चौधरी को सरकारी गवाह बनाया है. वह एनआरएचएम में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर था. उसकी नियुक्ति संविदा के आधार पर हुई थी. उसके पास घोटाले की महत्वपूर्ण जानकारियां थी.
सीबीआइ ने जांच में मिले तथ्यों के आधार पर उसे दवा घोटाले में सरकारी गवाह बनाया है. न्यायालय ने इस पर सहमति भी दे दी है. दवा घोटाले में आरोप पत्र दायर किये जाने और चौधरी को सरकारी गवाह बनाये जाने की सूचना के बाद एनआरएचएम में उसकी सेवा समाप्त कर दी गयी. दूसरी तरफ दवा घोटाले में अभियुक्त बनाये गये अन्य अधिकारी व कर्मचारी नौकरी में बने हुए हैं.
चारा घोटाले में सीबीआइ द्वारा सरकारी गवाह बनाये गये सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को ना तो उन्हें बरखास्त किया गया था और न ही संविदा पर कार्य कर रहे किसी कर्मचारी की सेवा समाप्त की गयी थी. दवा घोटाले में सरकारी गवाह की नौकरी समाप्त करने की वजह से सीबीआइ की उलझन बढ़ गयी है. क्योंकि इससे आगे की जांच प्रभावित होने की आशंका है.