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कुड़ुख भाषा में साहत्यि रचना जरूरी : डॉ नर्मिल मिंज

कुड़ुख भाषा में साहित्य रचना जरूरी : डॉ निर्मल मिंज- कुड़ुख भाषा की पारिभाषिक शब्दावली का लोकार्पणसंवाददाता, रांचीडाॅ निर्मल मिंज ने कहा कि कुड़ख भाषा में साहित्य रचना होनी चाहिए़ इसका दृश्यमान होना जरूरी है़ अन्यथा यह बाजारवाद के इस युग का दबाव नहीं झेल पायेगा़ वह जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में ‘कुड़ुख भाषा […]

कुड़ुख भाषा में साहित्य रचना जरूरी : डॉ निर्मल मिंज- कुड़ुख भाषा की पारिभाषिक शब्दावली का लोकार्पणसंवाददाता, रांचीडाॅ निर्मल मिंज ने कहा कि कुड़ख भाषा में साहित्य रचना होनी चाहिए़ इसका दृश्यमान होना जरूरी है़ अन्यथा यह बाजारवाद के इस युग का दबाव नहीं झेल पायेगा़ वह जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में ‘कुड़ुख भाषा की पारिभाषिक शब्दावली’ के लोकार्पण के मौके पर बोल रहे थे़ डॉ नारायण उरांव सैंदा ने कहा कि राज्य सरकार ने नयी शिक्षा नीति में त्रिभाषा फार्मूला के तहत हिंदी और अंगरेजी और मातृभाषा को साथ रखा है़ हम कुड़ुख भाषियों का मानना है कि हिंदी और अंगरेजी के साथ कड़ुख भाषा का व्याकरण एक साथ मिलने पर विद्यार्थियों व शोधार्थियों का रास्ता सुगम होगा़ हमारा मानना है कि भाषा परंपरा व भाषा विज्ञान को आधार मान कर आत्मचिंतन व समीक्षा का रास्ता स्वयं निकलेगा़ यह कार्य डॉ फ्रांसिस्का एक्का, डॉ रामदयाल मुंडा व प्रो आर इलांगियन के भाषायी दृष्टिकोण से किया गया है़ कार्यक्रम में एचओडी डॉ केसी टुडू, डॉ एचएन सिंह, डॉ उषा रानी मिंज, डॉ हरि उरांव, फादर अगुस्टीन केरकेट्टा, डॉ त्रिवेणीनाथ साहू, डॉ नारायण भगत, डॉ रामकिशोर भगत, डॉ फ्रांसिस्का कुजूर, जीता उरांव, मधुर मिंज, शरण उरांव व अन्य मौजूद थे़

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