रांची: स्वामी तथागत व मां अनिता के सान्निध्य में शाहदेव हाउस, कांके रोड में गुरुवार को ओशो ध्यान साधना शिविर लगाया गया. कार्यक्रम में कई ओशो शिष्यों ने भाग लिया. शुरुआत में वैदिक मंत्रोच्चर के साथ ओशो की आरती की गयी.
उसके बाद कुंडलिनी जागरण किया गया, जिसमें ओशो के शिष्य भजन पर झूमते रहे. तत्पश्चात मां अनिता द्वारा लिखित पुस्तक मौन सागर का ब्रrाकमल का विमोचन किया गया. इस अवसर पर स्वामी तथागत व स्वामी अभय भारती उपस्थित थे.
स्वयं को जानना अहम : पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मां अनिता ने कहा कि मनुष्य इस धरती पर जन्म लेता है, जवान होता है, फिर मर जाता है, पर अंतिम समय तक वह यह जान ही नहीं पाता कि मैं कौन हूं. मेरा अस्तित्व क्या है.
भगवान ने मुङो क्यों इस धरती पर भेजा है. मां अनिता ने कहा कि वर्ष 1987 में वह ओशो की शरण में आयीं. फिर धीरे-धीरे उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हुआ. वर्ष 2003 में मुङो आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ. उसके बाद मैं तीन महीने तक समाधि में लीन रही. फिर मुङो यह पता चला कि मानव जीवन का उद्देश्य क्या है.