रांची : झारखंड में शहरी विकास का हाल बुरा है. शहरों के विकास के लिए सरकार द्वारा दी गयी राशि बेकार पड़ी है. गुजरे 15 वर्षों के दौरान राज्य के सभी नगर निकायों ने शहरी विकास के लिए अलग-अलग मद में मिले 370 करोड़ रुपये को पीएल एकाउंट में डाल कर छोड़ दिया है.
यह राशि शहरी निकायों को राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए दी थी. इस राशि से शहरी गरीबों के आवास का निर्माण, स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना का क्रियान्वयन, सड़क व नाली निर्माण और अन्य नागरिक सुविधाओं को पूरा किया जाना था. कई निकायों ने ठेकेदारों को दी जानेवाली सिक्यूरिटी डिपोजिट को भी पीएल एकाउंट में ही जमा कर छोड़ दिया है. योजना के क्रियान्वयन के लिए राशि की निकासी आज तक नहीं की गयी है.
खर्च नहीं करने में सभी बड़े शहरों के निकाय नंबर वन
राज्य के सभी बड़े शहरों में बनाये गये नगर निगम विकास के लिए दी गयी राशि खर्च नहीं करने में नंबर वन हैं. सबसे ज्यादा धनबाद नगर निगम ने 49.47 करोड़ रुपये पीएल एकाउंट में जमा कराये हैं. देवघर नगर निगम ने 30.05 करोड़ और रांची नगर निगम ने 22.57 करोड़ रुपये पीएल एकाउंट में रन्कर छोड़ दिये हैं.
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र ने भी 39.72 करोड़ रुपये पीएल एकाउंट में जमा करा रखा है. दुमका नगर परिषद ने भी 35.72 करोड़ रुपये खर्च करने की जगह पीएल एकाउंट में डाल रखा है. इधर, नगर विकास विभाग के अधीन रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) ने भी विभिन्न योजनाओं के मद में प्राप्त राशि पीएल एकाउंट में रख छोड़ा है. आरआरडीए के पीएल एकाउंट में 17 करोड़ रुपये जमा हैं.