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आयोजन : पारंपरिक गीत-नृत्य के साथ मुड़मा मेला का समापन

आयोजन : पारंपरिक गीत-नृत्य के साथ मुड़मा मेला का समापन फोटो 1. मेले को संबोधित करते विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांवफोटो 2 मेले में उमड़ी भीड़ फोटो 3 पाड़हा प्रतीक के साथ जतरा मे प्रवेश करते खोड़हाफोटो 4 व 5 नृत्य करते लोगसामाजिक समरसता का प्रतीक है जतरा : दिनेश उरांवपश्चिम बंगाल, ओड़िशा व छत्तीसगढ़ से […]

आयोजन : पारंपरिक गीत-नृत्य के साथ मुड़मा मेला का समापन फोटो 1. मेले को संबोधित करते विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांवफोटो 2 मेले में उमड़ी भीड़ फोटो 3 पाड़हा प्रतीक के साथ जतरा मे प्रवेश करते खोड़हाफोटो 4 व 5 नृत्य करते लोगसामाजिक समरसता का प्रतीक है जतरा : दिनेश उरांवपश्चिम बंगाल, ओड़िशा व छत्तीसगढ़ से भी लोग पहुंचे अंतरराष्ट्रीय धावक बुधुआ उरांव काठ के हाथी पर आयेईख, ढोल नगाड़े व मांदर की भी जम कर खरीदारी कीमांडर. झारखंड की साझी संस्कृति, परंपरा व सामाजिक समरसता का प्रतीक मुड़मा जतरा मेला गुरुवार को संपन्न हो गया. बुधवार को जतरा खूंटा की पूजा-अर्चना के साथ शुरू हुए इस दो दिवसीय मेले में हजारों की भीड़ उमड़ी. बच्चे, बूढ़े व जवान सभी ने मेले का आनंद उठाया. मेले के समापन समारोह में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव मुख्य रूप से उपस्थित थे. उन्होंने मुड़मा जतरा मेला काे सामाजिक समरसता का प्रतीक व समाज का मिलन स्थल बताया़ कहा : यहां पाड़हा के तहत एक सामाजिक व्यवस्था निहित है, जिसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है़ शिक्षा पर जोर : विधान सभा अध्यक्ष ने शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान देने का आह्वान किया, कहा : समाज जितना शिक्षित होगा, उतना ही आगे बढ़ेगा. उन्होंने मेले में आमंत्रित करने के लिए जतरा समिति के लोगों का आभार व्यक्त किया और कहा कि वे अगले साल भी इस जतरा में शिरकत करेंगे़ इस अवसर पर राजी पाड़हा प्रार्थना सभा नेपाल के रामकिशुन उरांव, ओड़िशा के मणिलाल केरेकेट्टा, बंगाल के जीतु उरांव, छत्तीसगढ़ के मिटकु भगत व प्रो प्रवीण उरांव ने भी विचार व्यक्त किये. संचालन धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने किया. नाचते-गाते पहुंचे : 40 पाड़हा के लोग परंपरागत पाड़हा निशान काठ के हाथी, घोड़े, मगर, बाघ, चीता, मछली, झंडे व रंपा-चंपा के साथ नाचते गाते मेला स्थल पर पहुचे. जतरा खूंटा की परिक्रमा कर खोड़हा में बंट कर नृत्य प्रस्तुत किया. अंतरराष्ट्रीय धावक बुधुआ उरांव भी काठ के हाथी पर सवार होकर मेले मे खोड़हा के साथ पहुंचे थे. मेले में पश्चिम बंगाल, ओड़िशा व छत्तीसगढ़ से भी खोड़हा लेकर लोग पहुंचे थे़ झूला व सर्कस रहा आकर्षण: बिजली चालित झूला, मौत का कुआं, सर्कस, ड्रेगन रेस व जादू के खेल मेले का मुख्य आकर्षण रहा. लोगों ने पारंपरिक हथियार, कृषि सामग्री, घरेलू उपयोग के सामान, सौंदर्य प्रसाधन, मिठाई, ईख, ढोल नगाड़े व मांदर की भी जम कर खरीदारी की. बांस की बनी सब्जी हड़ुवा व कचरी भी यहां खूब बिक्री हुई़ मेला स्थल पर स्थित जतरा खूंटा में पूजा-अर्चना के लिए बुधवार से ही श्रद्वालुओं की भीड़ लगी रही. राहत की सांस ली: मेला के शांतिपूर्वक संपन्न हो जाने पर प्रशासन के अलावा राजी पाड़हा जतरा संचालन समिति के लोगों ने राहत की सांस ली है. समापन समारोह में अनिल उरांव, जतरू उरांव, रंथु उरांव, सुका उरांव, जगराम उरांव, कमले किस्पोट्टा, शीला उरांव, रेणु उरांव, बिहारी उरांव, एतो उरांव, लक्ष्मण उरांव, सुखदेव उरांव, वीरेंद्र उरांव, गोपाल उरांव सहित अन्य मौजूद थे.आभार जताया़ मेले के सफल आयोजन को लेकर एेतिहासिक राजी पाड़हा जतरा समिति के अध्यक्ष अनिल उरांव ने जतरा में शामिल होने वाले लोगों के अलावा 40 पाड़हा के पहान पुजार सहित ग्रामीण एसपी राजुकमार लकड़ा, डीएसपी प्रमोद केसरी, इंस्पेक्टर बंधन बाखला, थाना प्रभारी रामनारायण सिंह, बीडीओ गोपी उरांव, सीओ मुमताज अंसारी व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सभी लोगों का अभार जताया है़

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