रांची: रांची विशुनपुर गुमला की अमृता (11) अपनी नयी जिंदगी शुरू करने शुक्रवार को अपने गांव लौट गयी. रिम्स के डॉ एलबी मांझी और उनकी टीम ( डॉ एकरामुल हक एवं डॉ शांतिभूषण) की कड़ी मेहनत से अमृता का पैर कटने से बचाया. तीन महीने आठ दिन वह रिम्स में भरती रही. अमृता के पैर का जख्म अब भर रहा है. हालांकि, चिकित्सकों ने उसे एक माह तक जमीन पर पैर रखने से मना किया है.
गांव लौटते वक्त अमृता ने रांचीवासियों और प्रभात खबर का शुक्रिया अदा किया. प्रभात खबर में उसके बारे लगातार खबर छपने के बाद स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता समेत रांची के कई लोगों ने उसकी आर्थिक मदद की थी. शुक्रवार को भी विधानसभा कर्मियों संजीव, अनूप कच्छप, निर्मल हेंब्रम, देव कुमार व अमित उरांव ने अमृता को फल दिये. परिजनों ने कहा कि अगर शहर के लोग और प्रभात खबर सामने नहीं आता, तो उसकी बेटी का पैर कट जाता. जान भी जा सकती थी.
नर्स बन सेवा करूंगी
अमृता ने कहा कि वह नर्स बन कर लोगों की सेवा करना चाहती है. चिकित्सक एवं नर्सो ने तीन महीने तक उसकी सेवा की है, इसी से उसका पैर कटने से बचा. मेरी तरह कितने लोग अस्पताल में आते हैं. मेरे बगल के बेडवाले जब स्वस्थ होकर घर लौटते थे, तब मैं सोचती थी कि मैं कब अपना घर जाउंगी.
एक माह बाद चलेगी
चिकित्सकों ने अमृता को एक माह बाद रिम्स के हड्डी विभाग के ओपीडी में बुलाया है. एक महीने के बाद अमृता को चलने की इजाजत दी जायेगी. चिकित्सकों ने अमृता के परिजनों को नजदीकी चिकित्सकों से ड्रेसिंग कराने की सलाह दी है.