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पंचायत चुनाव: पारा शिक्षकों के पंचायत चुनाव लड़ने पर पाबंदी

रांची: झारखंड में होनेवाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पारा शिक्षक नहीं लड़ पायेंगे़ झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 19 की उपधारा चार के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को पंचायत निर्वाचन के लिए उम्मीदवारी से प्रतिबंधित किया गया है. राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतों में मानदेय पर कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका, झारखंड […]

रांची: झारखंड में होनेवाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पारा शिक्षक नहीं लड़ पायेंगे़ झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 19 की उपधारा चार के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को पंचायत निर्वाचन के लिए उम्मीदवारी से प्रतिबंधित किया गया है. राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतों में मानदेय पर कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका, झारखंड शिक्षा परियोजना, साक्षरता अभियान व विशेष शिक्षा केंद्रों में मानदेय पर कार्यरत अनुदेशकों को भी पंचायत चुनाव में निर्वाचन के लिए अयोग्य घोषित किया है.

राज्य के पंचायत चुनाव में केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न स्कूलों के साथ विश्वविद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों के चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी होगी. राज्य निर्वाचन आयोग के नियमों के मुताबिक केंद्र व राज्य सरकार के शिक्षण संस्थानों (प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय, उच्च विद्यालय, सरकारी महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं केंद्रीय विद्यालय) में कार्यरत शिक्षक या कर्मचारी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में किसी पद का उम्मीदवार नहीं हो सकता है. आयोग ने डिस्ट्रिक बोर्ड, नगर पालिका, नगर निगम, सहकारिता अधिकोष, खादी ग्रामोद्योग संघ, हस्तकर्घा निगम व केंद्रीय या राज्य सरकार के उपक्रमों के कर्मी व पदाधिकारियों के भी पंचायत चुनाव में उम्मीदवार होना प्रतिबंधित किया है. आयोग ने यह साफ कर दिया है कि केंद्र व राज्य सरकार की सेवा में किसी भी पद पर कार्यरत व्यक्ति पंचायतों में किसी भी पद के लिए उम्मीदवार नहीं बन सकता है.

ठेकेदार, राशन दुकानदार और प्रधान लड़ सकेंगे चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम प्रधान के अलावा कोल्हान क्षेत्र में मानकी मुंडा व्यवस्था के अंतर्गत काम करने वाले मानकी, मुंडा व डाकुआ के उम्मीदवार बनने पर भी कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. आयोग ने कहा है कि सरकार के किसी विभाग द्वारा प्रायोजित योजना का संवेदक पंचायत चुनाव में प्रत्याशी हो सकता है. राशन दुकानदार भी चुनाव लड़ सकते हैं. इसके अलावा गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं के भी पंचायत चुनाव में शामिल होने पर कोई रोक नहीं लगायी गयी है, बशर्ते कि उनको सरकार के स्तर से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती हो.

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