व्यवसायियों को परेशान कर रहा है वाणिज्यकर विभाग : चेंबरफोटो हैचेंबर की वाणिज्यकर उप समिति की बैठक हर माह लाखों इंवॉयस ऑनलाइन देना असंभवमुख्यमंत्री से मिलेंगे व्यवसायीवरीय संवाददाता, रांचीवाणिज्यकर विभाग से राज्य के व्यवसायियों को हो रही परेशानियों के निराकरण को लेकर चेंबर की वाणिज्यकर उप समिति की बैठक चेंबर भवन में हुई. सदस्यों ने कहा कि एक ओर हम जहां इज ऑफ डूईंग बिजनेस और सिंगल विंडो सिस्टम की तरफ कदम बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वाणिज्यकर विभाग दिनों-दिन अपने नियम-कानूनों में परिवर्तन करते हुए राज्य के व्यवसायियों को अनावश्यक रूप से परेशान कर रहा है. एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू होना लगभग तय है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में सिर्फ पांच महीने ही शेष हैं. इतने अल्प समय के लिए विभाग द्वारा व्यवसायियों से इंवॉयस वाईज डिटेल्स मांगना सही नहीं है. एक-एक व्यवसायी काे हर माह दस से बीस हजार बिल काटना पड़ता है. इन सभी का विवरण देना संभव नहीं है. जेवैट 200 में पुरानी व्यवस्था टीन वाइज फिगर सही था और उसी को लागू किया जाये. रजिस्टर्ड डीलर वाइज फिगर भरना सही रहेगा. नन-रजिस्टर्ड डीलर का डिटेल्स बिल वाइज मांगना तो व्यवसायियों के साथ अन्याय होगा. सदस्यों ने इस मुद्दें पर मुख्यमंत्री से मुलाकात करने का निर्णय लिया. इस दौरान वे अन्य मांगें भी रखेंगे. इसमें जेवैट 504 (पी) की बाध्यता समाप्त करना, फाइल की शत प्रतिशत एसेसमेंट प्रक्रिया समाप्त की जाये, वाणिज्यकर विभाग में गठित राज्य स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक प्रत्येक महीने नियमित रूप से आयोजित करने की मांग शामिल है. साथ ही बार-बार सॉफ्टवेयर में बदलाव न करने का आग्रह किया गया. सभी परमिट (जेवैट 504 जी, 504 पी, 504 बी) की समय सीमा व ऑटो गुड्स रिसीविंग की व्यवस्था समाप्त की जाये. इंडस्ट्री इनपुट टैक्स बंद करने से राज्य के उद्योगों पर सीधा असर पड़ेगा. ऑनलाइन हो जाने के बावजूद एनओसी व एसेसमेंट के नाम पर व्यवसायियों को कार्यालय बुलाने की परंपरा को समाप्त की जाये. परमिट में भूल होने पर इसे ऑनलाइन कैंसल करने की व्यवस्था की जाये. वर्तमान में रिटर्न फाईल करने अथवा पेमेंट करने में विलंब होने पर परमिट रोक दी जाती है. इससे सरकार और व्यापारियों दोनों को नुकसान होता है. पटना उच्च न्यायालय ने भी परमिट रोकने को अव्यवहारिक और असंवैधानिक बताया है. विभाग द्वारा राज्य में लागू किया गया वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को लेकर भ्रम है. बिहार सरकार की तर्ज पर मूल राशि के 33 प्रतिशत पर सेटलमेंट की प्रक्रिया झारखंड में भी अपनायी जाये. ऑडिट लिमिट को 40 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ किया जाये. भूल–सुधार के लिए रिवाईज रिटर्न की व्यवस्था देने, ई-1 सेल्स को मंजूरी देने, वार्षिक रिटर्न का प्रावधान करने की भी मांग की गयी. बैठक में चेंबर उपाध्यक्ष तुलसी पटेल, महासचिव विनय अग्रवाल, दीनदयाल वर्णवाल, श्रवण मोदी, संदीप सरावगी, संजय मोदी, संजय अखौरी, रौनक पोद्दार, कमल सिंघाानिया सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे.
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व्यवसायियों को परेशान कर रहा है वाणज्यिकर विभाग : चेंबर
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