-मनोज सिंह-
रांचीः आदिवासी युवकों के समूह को दी गयी करीब एक सौ बसों की ओनरशिप अब तक नहीं बदली गयी है. इन युवकों को कल्याण विभाग से बस दिये हुए 10 साल से अधिक हो गये हैं. अब तक बसें जनजातीय कल्याण आयुक्त के नाम से निबंधित हैं. इस कारण बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने या परिवहन कानून का पालन नहीं होने की स्थिति में जनजातीय कल्याण आयुक्त के नाम से वारंट जारी हो रहा है.
आयुक्त के नाम से अब तक आधा दर्जन से अधिक वारंट जारी हो चुके हैं. चूंकि पद नाम से वारंट जारी किया जा रहा है, इस कारण इस पर अमल भी नहीं हो रहा है.
10-10 युवकों के समूह को दी गयी थी बसें
कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में 10-10 युवकों के समूह को बसें दी गयी थीं. इसका उद्देश्य बेरोजगार युवकों को रोजगार देना था. युवकों को बसें तो दे दी गयीं, लेकिन ओनरशिप नहीं बदली गयी. इस कारण बसों ने टैक्स भी जमा नहीं किया. बसों के संचालन की स्थिति पर जनजातीय कल्याण शोध संस्थान ने एक अध्ययन रिपोर्ट भी तैयार की थी. इस पर करीब दो लाख रुपये खर्च किये गये थे. उसमें भी नाम स्थानांतरण नहीं होने की बात कही थी. कहा था कि इससे संचालन करनेवाले युवकों को भी परेशानी हो रही है. संस्थान ने कई सुझाव भी कल्याण विभाग को दिये थे, लेकिन रिपोर्ट पर अपेक्षित कार्रवाई नहीं हो सकी.