रांची: लॉ अर्थात कानून, विश्वविद्यालय शिक्षा का प्रमुख पाठयक्रम रहा है. एक समय तक कानून की पढ़ाई स्नातक के बाद ही संभव हो पाती थी, परंतु अब ऐसा नहीं रहा. कानून की शिक्षा लेनेवाले विद्यार्थियों के लिए अब यह विषय केवल शिक्षा ही नहीं, अपितु रोजगार का एक माध्यम भी है. अब कानून की पढ़ाई 12वीं के बाद भी संभव है. वैश्वीकरण के इस दौर में कानून की जानकारी रखनेवाला केवल न्यायालय में प्रैक्टिस करने तक ही सीमित नहीं रहा है.
कोर्स : किसी भी संकाय से 12वीं उत्तीर्ण छात्र कानून की पढ़ाई करने के योग्य होते हैं. यह कोर्स पांच वर्षो के लिए होता है. इसे इंटीग्रेटेड कोर्स कहा जाता है.
योग्यता : अच्छे संस्थानों में नामांकन उनके द्वारा ली जानेवाली जांच परीक्षा एवं साक्षात्कार के आधार पर होता है. देश के 16 लॉ यूनिवर्सिटी में नामांकन के लिए सेंट्रल स्तर पर एडमिशन टेस्ट लिया जाता है. इस टेस्ट को क्लैट अर्थात कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट कहा जाता है.
देश के 10 श्रेष्ठ लॉ संस्थान
त्ननेशनल लॉ स्कूल आफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
नालसर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद
नेशनल लॉ इंस्टीटय़ूट, भोपाल
नेशनल लॉ स्कूल, जोधपुर
आइएलएस लॉ कॉलेज, पुणो
सिम्बॉसिस लॉ स्कूल, पुणो
डिपार्टमेंट ऑफ लॉ, बीएचयू, बनारसत्नगवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई
अमेटी लॉ स्कूल, दिल्ली त्नगुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, गांधीनगर
झारखंड में भी पांच वर्षीय यह पाठयक्रम उपलब्ध है. देश की 16 लॉ यूनिवर्सिटी में से एक नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची में इसकी पढ़ाई होती है. क्लैट परीक्षा के परिणाम के आधार पर नामांकन होता है. कोर्स के लिए फीस प्रति वर्ष एक लाख 70 हजार रु पये है.
भविष्य : लॉ यूनिवर्सिटी, रांची के कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ आलोक गुप्ता बताते हैं कि कानून के क्षेत्र में पांच वर्षीय कोर्स करने के बाद आप कॉरपोरेट कंपनियों में लॉ एडवाइजर के अलावा बैंकों व रेलवे में भी लॉ ऑफिसर के रूप में कैरियर बना सकते हैं.