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खदानों के अवधि विस्तार का आधार क्या : सरयू
सुनील चौधरी एतराज. 21 खदानों के लीज नवीकरण पर मुख्य सचिव काे पत्र रांची : 21 लौह अयस्क खदानों के लीज नवीकरण की प्रक्रिया पर संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने सवालिया निशान लगा दिया है. उन्होंने मुख्य सचिव राजीव गौबा को पत्र लिख कर पूछा है कि जब सारी कमेटियों ने अवधि विस्तार नहीं […]
सुनील चौधरी
एतराज. 21 खदानों के लीज नवीकरण पर मुख्य सचिव काे पत्र
रांची : 21 लौह अयस्क खदानों के लीज नवीकरण की प्रक्रिया पर संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने सवालिया निशान लगा दिया है. उन्होंने मुख्य सचिव राजीव गौबा को पत्र लिख कर पूछा है कि जब सारी कमेटियों ने अवधि विस्तार नहीं देने की अनुशंसा की है, तब विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति किस आधार पर इन पट्टेधारियों के पट्टों को अवधि विस्तार देने पर पुन: विचार कर रही है.
मंत्री ने लिखा है कि भारत सरकार ने खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 के प्रावधानों में संशोधन कर प्राकृतिक संसाधनों के अावंटन को पारदर्शी बनाया है. इस अधिनियम के नियम आठ(ए) के तहत केवल उन पट्टों का ही अवधि विस्तार हो सकता है, जो उक्त नियम के प्रावधानों की शर्तों के साथ-साथ लीज की अन्य शर्तों को भी पूरा करते हैं.
कमेटियों ने लीज नवीकरण नहीं करने की अनुशंसा की है: पत्र में लिखा गया है कि पश्चिम सिंहभूम के नन कैप्टिव खनन पट्टा के कानूनी प्रावधानों की अर्हताओं की जांच करने के लिए खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा समय-समय पर समितियों का गठन किया जाता रहा है. इनमें उपायुक्त पश्चिम सिंहभूम की समिति, अपर निदेशक खान वीएन बैठा की समिति एवं कोल्हान अंचल के उपनिदेशक खान शंकर सिन्हा की समिति बनी थी.
इन तीनों समितियों द्वारा समर्पित प्रतिवेदनों में संबंधित पट्टाधारियों द्वारा खनन में बरती गयी अनियमितताओं का स्पष्ट उल्लेख किया गया है. इन सभी समितियों ने अपने प्रतिवेदन में अनुशंसा की है कि किसी भी नन कैप्टिव पट्टाधारी के लिए अवधि विस्तार की अनुशंसा नहीं की जा सकती है.
कारण है कि इन सभी पट्टेधारियों ने प्रांसगिक प्रावधानों का घोर उल्लंघन किया है. मंत्री ने एमएमडीआर एक्ट के नियम 4ए(ए) एवं एमसी रूल नियम 28(1) का उल्लेख करते हुए लिखा है कि इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी खनन पट्टा यदि दो वर्ष तक कार्यशील नहीं रहता है तो वह स्वत: लैप्स हो जाता है. जबकि इन पट्टों द्वारा उक्त सभी नियमों का स्पष्ट उल्लंघन किया गया है.
समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में इसे दर्ज किया है. एमसी रूल 1960 के नियम 37 के तहत किसी भी खनन पट्टाधारी को अपना पट्टा मोरगेज, सब मोरगेज करने का अधिकार नहीं है, इसका भी पट्टेधारियों ने उल्लंघन किया है.
विधि से परामर्श लेने की सलाह
मंत्री ने सरयू राय ने सवाल उठाया है कि सरकार द्वारा गठित समितियां ही जब अवधि विस्तार नहीं देने का मंतव्य दे चुकी हैं, इसके बावजूद विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति किस आधार इन खनन पट्टेधारियों के पट्टों का नवीकरण पर विचार कर रही है. इससे जनमानस में यह धारणा पनप सकती है कि सरकार येन-केन प्रकारेण खनन पट्टों का अवधि विस्तार करने की हिमायती है. मंत्री ने इस विषय में विधि विभाग का परामर्श लेने की भी सलाह दी है.
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