रांची : झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा है कि सरकार ने पिछले महीने कई महत्वपूर्ण फैसले लिये हैं. ये फैसले झारखंड के हित में नहीं हैं. झारखंड के नौजवानों को हताश-निराश करने वाले हैं. राज्य में शिक्षक से लेकर पंचायत सेवक और चौकीदार जैसे पद भी बाहरी को देने की तैयारी की जा रही है.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि 30 अप्रैल तक स्थानीय और नियोजन नीति बना ली जायेगी. नीति तो नहीं बनी, लेकिन जिन पदों को भरने का अधिकार पंचायतों को था, उन पदों के लिए भी लिखित परीक्षा लेकर बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए दरवाजे खोले जा रहे हैं. श्री यादव पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि सामान्य कोटे में 90 प्रतिशत छात्र बाहर से आते हैं. सरकार को राज्य में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए. ऐसे में राज्य में आरक्षण की सीमा 73 प्रतिशत हो जाती. 73 प्रतिशत सीट पर बाहरी नहीं आते. झाविमो विधायक ने कहा कि सरकार कोर्ट का हवाला देकर आरक्षण की सीमा 50 से नहीं बढ़ाती. मौके पर डॉ सबा अहमद और सुनील साहू भी मौजूद थे. श्री यादव ने इस संबंध में मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र भी लिखा है.
कांग्रेस की प्रेस वार्ता: अध्यादेश के सहारे सरकार चलाने में मोदी के रास्ते रघुवर
कांग्रेस ने सिंगल विंडो क्लीयरेंस अध्यादेश लाये जाने पर एतराज जताया है. कांग्रेस ने कहा है कि अध्यादेश के सहारे सरकार चलाने के मामले में रघुवर दास मोदी के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं. अध्यादेश जारी कर राज्य सरकार ने विधानसभा को गुमराह करने का प्रयास किया है. लोकतंत्र के साथ मजाक किया है. शुक्रवार को पार्टी महासचिव शमशेर आलम, प्रवक्ता रविंद्र सिंह, कार्यालय प्रभारी सूर्यकांत शुक्ला, प्रो विनोद सिंह और कुमार रौशन ने पत्रकारों से बात की. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार की मंशा भांपते हुए विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने स्पीकर को पत्र लिख अध्यादेश लाने के बजाय सदन में चर्चा कराने की मांग की थी. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सदन में सरकार ने इससे सबंधित विधेयक लाया था. सदन में विरोध की बात हुई और चर्चा कराने की मांग हुई, तो स्पीकर ने प्रवर समिति को भेजने का नियमन दिया. बाद में सरकार ने इसे वापस लेने का अनुरोध किया.
आलमगीर ने स्पीकर को लिखा था पत्र
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने स्पीकर दिनेश उरांव को पत्र लिख अंदेशा जताया था कि सरकार इस मामले में अध्यादेश ला सकती है. आलमगीर आलम ने कहा था कि आसन से प्रवर समिति को भेज जाने का नियमन हुआ था, लेकिन सरकार ने विधेयक वापस ले लिया था. संसदीय इतिहास में ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं. स्पीकर के नियमन के बाद भी सरकार आनन-फानन में अध्यादेश लाये. यह सबकुछ सोची-समझी रणनीति के तहत करने की तैयारी है. अालमगीर आलम ने इस विधेयक पर चर्चा की मांग की थी.