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झारखंड से तीन गुणा ज्यादा राजस्व वसूलता है छत्तीसगढ़

रांची : झारखंड में शराबियों की संख्या काफी कम है. झारखंड की तुलना में पड़ोसी राज्यों में शराब के शौकीनों की संख्या काफी अधिक है. बिहार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में शराबी बड़ी संख्या में हैं. भले ही आप विश्वास न करें, लेकिन शराब से राज्यों को मिलने वाले राजस्व का अध्ययन […]

रांची : झारखंड में शराबियों की संख्या काफी कम है. झारखंड की तुलना में पड़ोसी राज्यों में शराब के शौकीनों की संख्या काफी अधिक है. बिहार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में शराबी बड़ी संख्या में हैं. भले ही आप विश्वास न करें, लेकिन शराब से राज्यों को मिलने वाले राजस्व का अध्ययन करने पर यही निष्कर्ष निकलता है.

आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ (आबादी 2.55 करोड़) की जनसंख्या झारखंड (आबादी 3.29 करोड़) से कम है, पर वहां शराब से मिलने वाला राजस्व झारखंड से तीन गुणा अधिक है. पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और बिहार जैसे राज्यों में भी शराब से मिलने वाला राजस्व झारखंड से कई गुणा अधिक है.
बिहार को सबसे ज्यादा राजस्व: पड़ोसी राज्यों में बिहार शराब से सबसे अधिक मुनाफा कमाता है. शराब के धंधे से 10.38 करोड़ की आबादी वाला बिहार 2425 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करता है. 9.13 करोड़ की आबादी वाले पश्चिम बंगाल को शराब से 2415 करोड़ रुपये राजस्व की प्राप्ति होती है. वहीं, शराब से छत्तीसगढ़ को 2013 करोड़ और ओड़िशा (आबादी 4.19 करोड़) को 1513 करोड़ रुपये कर के रूप में मिलते हैं. सबसे बुरी स्थिति झारखंड की है. झारखंड सरकार को शराब से पड़ोसी राज्यों में सबसे कम केवल 614.01 करोड़ रुपये मिलते हैं.
शराब की कालाबाजारी का है कमाल: झारखंड में शराब की खूब कालाबाजारी होती है. राज्य की शराब दुकानों पर प्रिंट रेट से अधिक रुपये लेकर शराब बेची जाती है. पड़ोसी राज्यों से अवैध शराब की स्मगलिंग की जाती है. बड़ी मात्रा में देशी और नकली शराब बनायी जाती है.

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