21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हृदय रोगियों को लूट रहे हैं बड़े अस्पताल!

स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट में हुई पुष्टि जांच टीम ने पकड़ी कालाबाजारी : रिम्स, मेडिका और मेदांता अस्पताल में की गयी जांच झारखंड विधानसभा का सत्र खत्म हो गया. विधानसभा में कुछ विषयों पर ही हंगामा होता है. कार्यवाही बाधित की जाती है. पर जनता से सीधे जुड़े, उनके जीवन से जुड़े विषयों पर […]

स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट में हुई पुष्टि
जांच टीम ने पकड़ी कालाबाजारी : रिम्स, मेडिका और मेदांता अस्पताल में की गयी जांच
झारखंड विधानसभा का सत्र खत्म हो गया. विधानसभा में कुछ विषयों पर ही हंगामा होता है. कार्यवाही बाधित की जाती है. पर जनता से सीधे जुड़े, उनके जीवन से जुड़े विषयों पर कोई खास चर्चा नहीं होती. प्रभात खबर ने हाल ही में राज्य में स्टेंट की हो रही कालाबाजारी की रिपोर्ट प्रकाशित की थी. बताया था कि कैसे हृदय रोगियों को लगाये जानेवाले स्टेंट के लिए मनमानी रकम वसूली जा रही है. खबर के प्रकाशन के बाद स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम बनी. जांच हुई और इसमें बड़े पैमाने पर लूट का खुलासा हुआ. पर जनता के जीवन से सीधे जुड़े इन मुद्दों पर किसी ने सक्रियता नहीं दिखायी.
राजीव पांडेय
रांची : राज्य के अस्पतालों में स्टेंट के नाम पर लूट मची है. हृदय रोगियों को कई गुना अधिक कीमत पर स्टेंट लगाये जा रहे हैं. अस्पताल जिस स्टेंट के बदले मरीजों से 1,60,000 रुपये वसूलते हैं, उसकी खरीद 40,800 रुपये में ही की जाती है. इसी तरह जिस स्टेंट (टैक्सस लिबरेट एलआर-ओयूएस) की एमआरपी (मैक्सिमम रीटेल प्राइस) 1,29,000 रुपये है, उसकी खरीद 15,300 रुपये में करते हैं. प्राेम्स एलिमेंट एवरोलिमस इल्यूट नामक स्टेंट के लिए मरीजों से 1,50,000 रुपये (एमआरपी) लिए जाते हैं, जबकि इसकी खरीद 30600 रुपये में करते हैं. इसी तरह 56,100 के स्टेंट (जाइंस एक्सपेडेक्शन ) की एमआरपी 1,75,000 रुपये है. अस्पताल मरीजों से एमआरपी दिखा कर पैसे लेते हैं.
प्रभात खबर में स्टेंट की कालाबाजारी की खबरें प्रकाशित होने पर निदेशक (औषधि) ने जांच के लिए टीम बनायी थी. टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. टीम ने राज्य के बड़े अस्पताल रिम्स, मेडिका, मेदांता में स्टेंट के गोरखधंधे को पकड़ा है. इन अस्पतालों की ओर से स्टेंट के नाम पर मरीजों से मनमानी रकम वसूले जाने की पुष्टि हुई है. इन अस्पतालाें ने अलग-अलग कंपनियाें के स्टेंट लगाये जाते हैं.
अस्पतालों में पकड़ी गयी गड़बड़ियां : जांच टीम ने पाया है कि रिम्स में तो बीपीएल व कैदी मरीजों के स्टेंट के लिए भी दोगुनी रकम की वसूली होती है. बीपीएल और कैदियों के स्टेंट के लिए रिम्स, सरकार से दोगुने पैसे ले रहा है. स्टेंट के इस पूरे कारोबार में अस्पताल व चिकित्सक दोनों की संलिप्तता रहती है. चिकित्सकों के निर्देश पर ही स्टेंट की खरीद होती है. टीम ने भगवान महावीर मेडिका सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और अब्दुर्र रज्जाक अंसारी मेदांता वीवर्स अस्पताल की भी जांच की. मेदांता ने 29 जुलाई को तीन मरीजों को लगाये गये स्टेंट का बिल टीम को नहीं दिया. टीम ने पाया कि अपर बाजार स्थित मेसर्स अक्षित एजेंसी ने 22 जुलाई 2015 को मेडिका अस्पताल को प्रोम्स इलिमेंट प्लस डीइएस स्टेंट 78,750 रुपये में उपलब्ध करायी. पर मरीजों को यही स्टेंट 1,10,000 रुपये में दिया गया है.
रिम्स में बीपीएल मरीजों के नाम पर दोगुना वसूली : जांच कर रही टीम ने पाया है कि रिम्स में बीपीएल और कैदी मरीजों के लिए मेसर्स अवनी मेडी एंड प्राइवेट लिमिटेड से खरीदे गये स्टेंट (जाइंस प्राइम इल्यूटिंग कॉर्नरी स्टेंट सिस्टम) के बदले सरकार से दोगुने पैसे वसूले गये. रिम्स से अवनी मेडी से 20,400 रुपये में खरीदे गये स्टेंट के बदले सरकार से 40,000 रुपये वसूले. 51,000 रुपये के बदले 90,750 रुपये वसूले. जांच में यह भी बात सामने आयी है कि कई स्टेंट में टैक्स (वैट) की चोरी की गयी है. यानी टैक्स नहीं लिया गया है.
ऐसे आता है रिम्स में स्टेंट : रिम्स में बीपीएल व कैदी मरीजों के लिए पहले चिकित्सक एंजियोप्लाजस्टी के लिए इस्टीमेट देते हैं. इसके बाद सिविल सर्जन कार्यालय से इस्टीमेट की अनुमति ली जाती है. सिविल सर्जन कार्यालय से अनुमति मिल जाने के बाद रिम्स अवनी मेडी-एड प्राइवेट लिमिटेड से स्टेंट मंगाता है. यह खरीद निदेशक स्तर पर की जाती है. यानी बीपीएल व कैदी के लिए मंगाये गये स्टेंट की खरीद के लिए रिम्स निदेशक और चिकित्सक दोनों जिम्मेदार होते हैं. जांच रिपाेर्ट में उल्लेख है कि बीपीएल और कैदी मरीजों के लिए कार्डियोलाॅजी के विभागाध्यक्ष डॉक्टर हेमंत नारायण राय की अनुशंसा पर बिल का भुगतान किया जाता है, जबकि सामान्य हृदय राेगियाें के लिए कंपनी के प्रतिनिधि सीधे राेगी से पैसे लेते हैं.
रिम्स में गलत तरीके से होती है आपूर्ति : रिम्स में स्टेंट की अापूर्ति गलत तरीके से की जाती है. स्टेंट की अापूर्ति थोक व्यापारी की ओर से की जाती है, जो औषधि अधिनियम की धारा 18 सी का उल्लंघन है. जांच टीम ने अपनी जांच में इसका उल्लेख किया है.
क्या है स्टेंट
स्टेंट जीवन रक्षक औषधि है. यह कोबाल्ट क्रोमियम का बना एक धातु है. इसका डाइमीटर 80 माइक्रोन का होता है. इस पर दवा लगी रहती है. स्टेंट का उपयोग हृदय की कोर्नररी आटर्ररी के ब्लॉकेज को हटाने में किया जाता है. स्टेंट लगाने के बाद धमनी में खून का प्रवाह सही से होने लगता है.
जांच में ये थे शामिल
सुजीत कुमार (उप निदेशक औषधि), प्रतिभा झा (औषधि निरीक्षक रांची थर्ड), प्रणव प्रभात (औषधि निरीक्षक रांची फोर्थ)
सारा खेल एमआरपी का
स्टेंट के कवर पर अंकित एमआरपी इसके वास्तविक मूल्य से कम से कम दोगुना होती है. कई मामलों में तो चार गुना तक होती है. सारा खेल इसी एमआरपी का होता है. इसी एमआरपी को दिखा कर अस्पताल मरीजों से पैसे वसूलते हैं. वहीं एमआरपी से काफी कम कीमत पर स्टेंट खरीदते हैं.
स्टेंट की एमआरपी का छोटा उदाहरण
अक्षित एजेंसी
रांची : स्टेंट एमआरपी खरीद मूल्य
प्रोम्स एलिमेंट प्लस एमआर 1,60,000 40,800
टैक्सस लिबरेट एलआर-ओयूएस 1,29,000 15,300
प्रोम्स इलिमेंट एवरोलिमस ल्यूट 1,50,000 30,600
अवनी मेडी एड प्रालि, रांची
जाइंस प्राइम एवरोलिमस ल्यूटिंग 1,50,000 51,000
जाइंस एक्सपेडेक्शन 48 1,75,000 56,100
एब्जार्ब बायोरिसोर्सेबुल वस्कुलर 1,96,000 81,600
जांच टीम ने रांची के क्रय मूल्य की सूची जारी की है.
आंकड़े रुपये मेंअलग-अलग दर पर आपूर्ति
कंपनी एक ही शहर में एक ही किस्म का स्टेंट विभिन्न अस्पतालों को अलग-अलग मूल्यों पर उपलब्ध कराती है. कंपनी रांची के अस्पताल रिम्स, मेडिका व मेदांता अस्पताल के अलावा जमशेदपुर के ब्रह्मनंद नारायण हृदयालय व टीएमएच को अलग-अलग दर पर स्टेंट बेचती है.
सीजीएचएस में तय है ‍‍‍‍‍‍"23,625
स्टेंट मरीजों को कम से कम कीमत पर देनी है. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 29 अप्रैल 2014 को निर्गत पत्रांक में कहा गया है कि ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट की कीमत 23,625 रुपये निर्धारित की गयी है. सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के तहत इसी निर्धारित मूल्य को अपनाया गया है.
एनपीपीए में स्टेंट शामिल नहीं
केंद्र सरकार के नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंसियल मेडिसिन (एनएलइएम) की सूची में स्टेंट काे शामिल नहीं किया गया है. इस सूची में शामिल नहीं होने के कारण नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) द्वारा इसके मूल्य का निर्धारण नहीं किया गया है. इसी के कारण निर्माताओं व आयतकों द्वारा स्टेंट पर काफी ज्यादा एमआरपी अंकित किया जाता है.
अस्पताल रखते हैं काउंसलर
राज्य के बड़े अस्पतालों में स्टेंट के कारोबार के लिए एक काउंसलर रहता है. मरीज के परिजनों को काउंसलर स्टेंट की खूबियों के बारे में बताता है. बताता है कि कम कीमत के स्टेंट ज्यादा कारगर नहीं होते. अधिक कीमत के स्टेंट अच्छे मेटल से बने होते हैं और ज्यादा दिन तक चलते हैं. महंगे स्टेंट विदेशी और मेडिकेटेड होते हैं. मरीजों के परिजनों को काउंसल यहां तक कहते हैं कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी जरूरत पड़ने पर यही, महंगावाला स्टेंट लगाया जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें