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झारखंड में एक लाख इंदिरा आवास पेंडिंग
रांची: राज्य में करीब एक लाख इंदिरा आवास पेंडिंग हैं, यानी एक लाख लाभुकों के आवास नहीं बन पाये हैं. किसी का काम लिंटन तक हुआ है, तो किसी की दीवार ही खड़ी है. वहीं कई आवास तो छत ढलाई के बाद आगे नहीं बने. पांच से छह साल हो गये हैं, ये आवास पेंडिंग […]
रांची: राज्य में करीब एक लाख इंदिरा आवास पेंडिंग हैं, यानी एक लाख लाभुकों के आवास नहीं बन पाये हैं. किसी का काम लिंटन तक हुआ है, तो किसी की दीवार ही खड़ी है. वहीं कई आवास तो छत ढलाई के बाद आगे नहीं बने. पांच से छह साल हो गये हैं, ये आवास पेंडिंग में हैं. इन पेंडिंग आवासों को पूरा कराने पर भी कोई खास पहल नहीं हो पा रही है. ग्रामीण विकास विभाग ने पेंडिंग आवासों के मामले में जिलों से रिपोर्ट भी मांगी थी.
1.39 लाख से घट कर 49701 आवास हुए: पेंडिंग आवास के मामले से केंद्र सरकार भी अवगत है. इसके बाद ही केंद्र सरकार ने झारखंड के इंदिरा आवास का कोटा लगातार घटाना शुरू कर दिया है. वर्ष 2012-13 में जहां इंदिरा आवास का कोटा 1.39 लाख रुपये था, वहीं इस वित्तीय वर्ष में इसे घटा कर 49701 कर दिया गया है.
क्यों नहीं पूरे हो रहे आवास
इंदिरा आवास का काम पूरा नहीं होने पर प्रखंड के अफसरों का कहना है कि कई मामलों में लाभुकों ने तो थोड़ा काम किया, पर बाद में काम छोड़ दिया. अगली किस्त लेने लायक काम तक नहीं किया. बार-बार कहने के बाद भी काम पूरा नहीं हुआ. कई मामलों में लाभुक पैसा लेकर बैठ गये. वहीं लाभुकों का कहना है कि इंदिरा आवास का पैसा बिचौलिये खा जाते हैं. निर्धारित राशि 70 हजार रुपये में से काफी कम राशि उन्हें मिलती है. उतने पैसा में काम पूरा नहीं होता है. नतीजन इंदिरा आवास पेंडिंग रह जाता है. लाभुकों का यह भी कहना है कि विभाग के स्तर पर पैसा देने में काफी विलंब होता है, इसलिए भी योजना लटकी है.
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