रांची: धनबाद में रिंग रोड निर्माण में अधिग्रहीत की गयी आदिवासियों की जमीन का मुआवजा बिचौलिये हड़प रहे हैं. बिचौलियों और पदाधिकारियों की मिलीभगत से मुआवजा की पूरी राशि गरीबों तक नहीं पहुंच रही है.
धनबाद अंचल के दुहाटांड के देवराज मुरमू, रसिक मुरमू और गणोश मुरमू का पैसा बिचौलियों ने जालसाजी कर निकाल लिया. रिंग रोड निर्माण में देवराज मुरमू की 69, रसिक मुरमू की 25 और गणोश मुरमू की 22 डिसमिल जमीन भू-अजर्न विभाग द्वारा अधिग्रहीत की गयी. देवराज मुरमू को जमीन के एवज में एक करोड़ पांच लाख रुपये मिलने थे, जबकि उसे मात्र 1.5 लाख ही मिले. वहीं रसिक मुरमू को 27 लाख के एवज में डेढ़ लाख और गणोश मुरमू को 63 लाख की राशि में से 90 हजार मिले. भुक्तभोगियों ने अपनी शिकायत झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी तक पहुंचायी है. श्री मरांडी ने पूरे मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर मुआवजा राशि के वितरण में हो रहे घोटाले की जानकारी दी है.
श्री मरांडी ने पत्र लिख कर बताया है कि पदाधिकारियों की मिलीभगत से बिचौलिये गरीब आदिवासी की जमीन की मुआवजा राशि हड़प रहे हैं. सरकार पूरे मामले की जांच कराये. सचिव स्तर के पदाधिकारी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनायी जाये. बिचौलियों और दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ एफआइआर कर गिरफ्तारी की जाये. श्री मरांडी ने कहा है कि तीनों भुक्तभोगियों का राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खोल कर सार्वजनिक रूप से मुआवजा राशि दी जाये. श्री मरांडी ने कहा कि सरकार ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो बिचौलियों का मनोबल बढ़ेगा. भोले-भाले निरक्षर आदिवासी इसी तरह ठगे जाते रहेंगे.
कैसे हो रहा है घोटाला
भुक्तभोगियों ने बाबूलाल मरांडी को भेजी अपनी लिखित शिकायत में बताया है कि विपिन कुमार नामक व्यक्ति और भू-अजर्न विभाग के पदाधिकारियों ने अधिग्रहण के समय उनलोगों से सादे कागज पर हस्ताक्षर करा लिया. विपिन कुमार और अन्य लोगों ने मिल कर तीनों का खाता जोड़ापोखर पैक्स लिमिटेड, धनसार में खुलवाया. बाबूलाल ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री को जानकारी दी है कि सादे चेक पर हस्ताक्षर कर ये लोग पैसा उठाते रहे. इन गरीबों को मुआवजा के तौर पर कभी 10 हजार, तो कभी पांच हजार रुपये दिये गये.