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काम का बोझ बढ़ा, नहीं बढ़े कर्मचारी
कैसे हो काम : 58 वर्ष पुराने मैन पावर पर चल रहा है रांची समाहरणालय रांची : रांची समाहरणालय 58 वर्ष पुराने मैन पावर पर ही चल रहा है. वर्ष 1957 में समाहरणालय का पुनर्गठन हुआ, जिसमें सात शाखाएं बनीं. इनमें गोपनीय, राजस्व, सामान्य, विकास, विधि, स्थापना व कोषागार शाखाएं बनीं. इसके बाद वर्ष 1981 […]
कैसे हो काम : 58 वर्ष पुराने मैन पावर पर चल रहा है रांची समाहरणालय
रांची : रांची समाहरणालय 58 वर्ष पुराने मैन पावर पर ही चल रहा है. वर्ष 1957 में समाहरणालय का पुनर्गठन हुआ, जिसमें सात शाखाएं बनीं. इनमें गोपनीय, राजस्व, सामान्य, विकास, विधि, स्थापना व कोषागार शाखाएं बनीं. इसके बाद वर्ष 1981 में समाहरणालय का फिर से पुनर्गठन किया गया.
इस दौरान शाखाएं सात से बढ़ कर 35 हो गयीं. शाखाएं तो बढ़ी, जिम्मेवारी भी बढ़ती गयी. लेकिन मैन पावर 58 वर्ष पहले वाला ही रह गया. 208 कर्मचारियों पर ही इन सारी शाखाओं का बोझ है. इस संबंध में कई बार झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने मैनपावर बढ़ाने को लेकर सरकार की ओर से ध्यान आकृष्ट कराया.
यही नहीं राजस्व पर्षद के सदस्य विष्णु कुमार ने भी नौ जून 2015 को मुख्य सचिव सह अध्यक्ष राजस्व पर्षद को एक पत्र के माध्यम से यह बताया कि रांची जिले में समाहरणालय संवर्ग में प्रधान लिपिक के 50 व कार्यालय अधीक्षक के तीन पद हैं. इन्हें बढ़ा कर क्रमश: 198 व 99 किया जाये. इस दिशा में आज तक कार्रवाई नहीं की गयी. समाहरणालयों के पुनर्गठन की अनुशंसा 3 मार्च 2014 को उच्च स्तरीय कमेटी ने की थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 15 अप्रैल 2015 को सरकार को सौंप दी है.
वर्ष 2016 में 15 से 20 कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे
वर्ष 2016 में 15 से 20 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जायेंगे, ये पद भी रिक्त हो जायंेगे. उनके कार्य की जिम्मेवारी किसी दूसरे कर्मचारी को मिल जायेगी. इस वर्ष 14 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
हर शाखा में कम से कम पांच कर्मचारी होने चाहिए
छठे वेतन आयोग व बोर्ड प्रकीर्ण नियमावली वर्ष 1958 के अनुसार, हर शाखा में पांच कर्मचारी रहने चाहिए. समाहरणालय में कई ऐसे विभाग हैं, जहां केवल एक उच्च वर्गीय लिपिक हैं और शेष कंप्यूटर ऑपरेटर हैं.
सचिवालय में भी बाबुओं की कमी
रांची : झारखंड सरकार के सचिवालय में बाबुओं की कमी है. छोटे बाबू से लेकर बड़े बाबू तक के पद रिक्त पड़े हुए हैं. सहायक से लेकर संयुक्त सचिव तक की कमी है. झारखंड सचिवालय सेवा के विभिन्न स्तर पर स्वीकृत एवं कार्यरत बल में बड़ा अंतर है. सचिवालय में सहायक, प्रशाखा पदाधिकारी, अवर सचिव, उप-सचिव और संयुक्त सचिव के कुल 2,341 पद हैं. इनमें से 1025 पद रिक्त हैं. वहीं, 1316 पद पर पदाधिकारी कार्यरत हैं.
कभी नहीं भरा जा सका
राज्य गठन के बाद सचिवालय में स्वीकृत बलों को कभी पूरा नहीं भरा जा सका. अब तक सचिवालय में सहायक के 1313 पदों में से 710 पद ही भरे जा सके हैं. इसी तरह प्रशाखा पदाधिकारियों के 657 स्वीकृत पदों में से 397 और अवर सचिव के 328 में से 200 पद ही भरे गये हैं. उप-सचिव के 33 स्वीकृत पदों में से केवल छह और संयुक्त सचिव के 10 पदों में से केवल तीन पर ही लोग कार्यरत हैं.
काम-काज पर असर
सचिवालय में पदाधिकारियों की कमी का असर सरकार के काम-काज पर पड़ रहा है. सचिवालय में फाइलों की रफ्तार काफी धीमी है. फाइलों को डील करने में काफी समय लग रहा है. पदाधिकारियों की कमी के कारण बाबुओं के जिम्मे ज्यादा काम लाद दिया गया है. नतीजन, सरकार के ज्यादातर विभागों की टेबुलों पर फाइलों का अंबार लगा हुआ है.
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