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मद्रास हाइकोर्ट ने वापस लिया समझौता कराने का आदेश

एजेंसियां, चेन्नईमद्रास हाइकोर्ट ने दुष्कर्मी और पीडि़ता के बीच मध्यस्थता का अपना विवादित आदेश वापस ले लिया है. हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सख्त रु ख को देखते हुए यह कदम उठाया है. कोर्ट द्वारा ऐसे मामलों में मध्यस्थता करने को सुप्रीम कोर्ट ने ‘बड़ी गलती’ और ‘महिलाओं की मर्यादा के खिलाफ’ बताया था.मद्रास हाइकोर्ट […]

एजेंसियां, चेन्नईमद्रास हाइकोर्ट ने दुष्कर्मी और पीडि़ता के बीच मध्यस्थता का अपना विवादित आदेश वापस ले लिया है. हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सख्त रु ख को देखते हुए यह कदम उठाया है. कोर्ट द्वारा ऐसे मामलों में मध्यस्थता करने को सुप्रीम कोर्ट ने ‘बड़ी गलती’ और ‘महिलाओं की मर्यादा के खिलाफ’ बताया था.मद्रास हाइकोर्ट ने अपने आदेश को वापस लेने के साथ ही दुष्कर्मी की जमानत भी रद्द कर दी है. दुष्कर्मी को जमानत इसलिए दी गयी थी, ताकि वह पीडि़ता से मिल कर समझौते का रास्ता तलाश सके. कोर्ट ने उसे आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है. पिछले महीने जस्टिस देवदास ने 2002 में 15 साल की लड़की से रेप करने वाले शख्स को समझौता करने के लिए रिहा कर दिया था. उन्होंने कहा था कि इस तरह के एक अन्य मामले में उन्होंने इसी तरह से मध्यस्थता की थी, जिसका अच्छा नतीजा रहा था. उन्होंने कहा था कि दुष्कर्मी पीडि़ता से शादी के लिए तैयार हो गया था. जज ने कहा था, इस घटना की वजह से दुष्कर्म पीडि़ता गर्भवती हो गयी थी और उसने बच्ची को जन्म दिया है. वह किसी की पत्नी नहीं है, बिन ब्याही मां है. उन्होंने सुझाव दिया था कि उसके पास सबसे बेहतर विकल्प यही है कि वह अपने साथ ऐसा करने वाले शख्स के साथ समझौता कर ले.पीडि़त महिला ने बाद में पत्रकारों को बताया था कि उसका समझौता करने का कोई इरादा नहीं है. मध्य प्रदेश के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट द्वारा इस तरह के मामलों में ढील बरतना सही नहीं है. दरअसल निचली अदालत ने दुष्कर्म के आरोपी को इसलिए छोड़ दिया था, क्योंकि उसने पीडि़ता के साथ शादी कर ली थी.

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