27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हमें प्रेरणा देती है पांच जुलाई

दयामनी बारला पांच जुलाई 2015 को कोयलकारो जनसंगठन जल-जंगल-जमीन, भाषा-संस्कृति अपने इतिहास और पहचान की रक्षा के लिए 20 वां संकल्प दिवस तोरपा-तपकरा के शहीद स्थल पर मना रहा है. तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा प्रस्तावित 710 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए खूंटी जिला की कोयल नदी और गुमला जिला के बसिया क्षेत्र की कोयल नदी […]

दयामनी बारला
पांच जुलाई 2015 को कोयलकारो जनसंगठन जल-जंगल-जमीन, भाषा-संस्कृति अपने इतिहास और पहचान की रक्षा के लिए 20 वां संकल्प दिवस तोरपा-तपकरा के शहीद स्थल पर मना रहा है.
तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा प्रस्तावित 710 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए खूंटी जिला की कोयल नदी और गुमला जिला के बसिया क्षेत्र की कोयल नदी पर दो अलग अलग जगहों पर डैम बनाने की योजना थी. केंद्र सरकार और तत्कालीन राज्य सरकार ने 5 जुलाई 1995 को परियोजना का शिलान्यास करने की घोषणा की थी.
कोयलकारो हाइडल पावर प्रोजेक्ट बनने से खूंटी जिला, गुमला जिला और पश्चिमी सिंहभूम के कुल 245 गांव प्रभावित होते. 55 हजार एकड़ खेती की जमीन जलमगA हो जाती. 27 हजार एकड़ जंगली भूमि डूब जाती. आदिवासी-मूलवासियों के सैकड़ों धार्मिक स्थल भी जलमग्‍न हो जाते. प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण कोयलकारो जनसंगठन के बैनर तले 1966-67 से ही परियोजना का विरोध करते आ रहे हैं.
कोयलकारो जनसंगठन का मानना है कि-आदिवासियों के इतिहास-पहचान, भाषा-संस्कृति, जंल-जंगल-जमीन को किसी मुआवजा से नहीं भरा जा सकता. न ही इसकी पुनस्र्थापना संभव है. पांच जुलाई 1995 को कोयलकारो जनसंगठन ने संकल्प लिया-कि हम किसी भी कीमत पर विस्थापन स्वीकार नहीं करेंगे.
कोयलकारो जनसंगठन से जुड़े रहे स्वर्गीय मोजेश गुड़िया, स्वर्गीय राजा पौलुस गुड़िया, सोमा मुंडा, सदर कंडुलना, धनिक गुड़िया, रेजन गुड़िया, अमृत गुड़िया, बिजय गुड़िया, कोयल क्षेत्र से बलकु खड़िया, अलफ्रेद आइंद, पीसी बड़ाइक सहित सैकड़ों संघर्षरत साथियों के सामूहिक नेतृत्व में संघर्ष को जीत की मंजिल तक पहुंचाया गया. आंदोलन ने कई उतार-चढ़ाव देखे. कोयलकारो जनसंगठन द्वारा लगाया गया डेरांग स्थित बैरिकेडिंग को एक फरवरी 2001 को तोड़ा गया. इसके विरोध में जनसंगठन की ओर से दो फरवरी 2001 को तपकरा ओपी के सामने शांतिपूर्वक धरना दिया जा रहा था.
उस पर पुलिस ने गोली चलायी. जिसमें आठ साथी शहीद हो गये. ये थे शहीद समीर डहंगा-बण्डआजयपुर, सुंदर कन्डुलना-बनाय, सोमा जोसेफ गुड़िया, लूकस गुड़िया-दोनों गोंडरा, बोदा पाहन-चम्पाबहा, जमाल खां-तपकरा और सुरसेन गुड़िया-डेरांग. कोयलकारो जनसंगठन के इतिहास में कई महत्वपूर्ण दिन और घटनाएं जनआंदोलनों को प्रेरणा देती हैं.
(लेखिका समाज सेविका हैं)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें