वरीय संवाददाता, रांचीझारखंड सरकार ने गैर मजरूआ जंगल-झाड़ी (डीम्ड फॉरेस्ट भूमि) के उपयोग के लिए प्रमंडलीय आयुक्त और संबंधित जिलों के उपायुक्तों को एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) देने का अधिकार दिया गया है. राज्य के सरकारी विभाग, कंपनी, प्रतिष्ठान, उद्यम, एजेंसी, निगम अथवा बोर्ड की ओर से परियोजना के तहत ली जानेवाली ऐसी भूमि के लिए यह प्रावधान किया गया है. इसमें यह कहा गया है कि 25 एकड़ तक की भूमि के लिए वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत जिलों के उपायुक्त एनओसी देंगे. 25 एकड़ से अधिक भूमि के लिए प्रमंडलीय आयुक्त अपने अधिकारों का इस्तेमाल करेंगे. यह एनओसी सैद्धांतिक रूप से दिया जायेगा, जिसे प्रमंडलीय आयुक्त जारी करेंगे. वन अधिनियम के तहत अंतिम स्वीकृति मिलने पर ही एजेंसियों के अनुरोध पर जमीन का हस्तांतरण किया जायेगा. इसके लिए दस्तावेजों और अभिलेखों को केंद्र सरकार के पास भेजने की जिम्मेदारी संबंधित जिलों के उपायुक्त की होगी. इसके अलावा प्रमंडलीय आयुक्त के माध्यम से राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजा जायेगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से शुल्क के साथ जमीन हस्तांतरण का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में लाया जायेगा. कैबिनेट की सहमति मिलने पर ही जमीन हस्तांतरण का राज्यादेश जारी किया जायेगा. इसकी जानकारी सरकार कीवेबसाइट में भी अपलोड करना जरूरी किया गया है.
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गैर मजरूआ जंगल-झाड़ी के लिए अब एनओसी देंगे आयुक्त और डीसी
वरीय संवाददाता, रांचीझारखंड सरकार ने गैर मजरूआ जंगल-झाड़ी (डीम्ड फॉरेस्ट भूमि) के उपयोग के लिए प्रमंडलीय आयुक्त और संबंधित जिलों के उपायुक्तों को एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) देने का अधिकार दिया गया है. राज्य के सरकारी विभाग, कंपनी, प्रतिष्ठान, उद्यम, एजेंसी, निगम अथवा बोर्ड की ओर से परियोजना के तहत ली जानेवाली ऐसी भूमि के […]
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