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हर जिले को मिलेंगे 100 करोड़

डीएमएफ ऑपच्यरूनिटी एंड चैलेंज पर परिचर्चा, डीएमएफ का होगा गठन खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास पर खर्च होगी राशि रांची : झारखंड के हर जिले को डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (डीएमएफ) में लगभग 100-100 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है. एमएमडीआर संशोधन अधिनियम 2015 में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का गठन किया जाना है. इसके तहत खनन […]

डीएमएफ ऑपच्यरूनिटी एंड चैलेंज पर परिचर्चा, डीएमएफ का होगा गठन
खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास पर खर्च होगी राशि
रांची : झारखंड के हर जिले को डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (डीएमएफ) में लगभग 100-100 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है. एमएमडीआर संशोधन अधिनियम 2015 में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का गठन किया जाना है. इसके तहत खनन कंपनियों को रॉयल्टी के बराबर राशि डीएमएफ को देना है. वहीं नयी खनन कंपनियों को रॉयल्टी का एक तिहाई डीएमएफ को देना है.
झारखंड में पिछले वित्तीय वर्ष में खनिजों से 3500 करोड़ रुपये राजस्व मिला था. एक अनुमान के मुताबिक, लगभग इतनी ही राशि अब डीएमएफ को भी मिलेगी. डीएमएफ का गठन राज्य सरकार को करना है. जुलाई अंत तक झारखंड में भी डीएमएफ का गठन हो जायेगा.
सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसइ) के तत्वावधान में शुक्रवार को होटल ली-लैक में डीएमएफ ऑपच्यरूनिटी एंड चैलेंज पर परिचर्चा की गयी. इसके प्रथम सत्र में डीएमएफ और एमएमडीआर संशोधन एक्ट 2015 के बाबत जानकारी दी गयी. सीएसइ की महानिदेशक सुनीता नारायण और उपमहानिदेशक चंद्रभूषण ने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला.
सही लोगों तक लाभ पहुंचे
सीएसइ की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि सही लोगों तक इस राशि का लाभ पहुंचे. राजस्थान में डीएमएफ के लिए जो नियमावली बनायी गयी है, उसमें इस राशि से मेला और खेल प्रतियोगिता जैसे आयोजन करने की बात कही गयी है.
ऐसे में डीएमएफ का क्या मतलब रह जायेगा. उन्होंने बताया कि खनन प्रभावित क्षेत्र के लोगों के बीच प्रॉफिट शेयरिंग हो, इसकी मांग लगातार की जाती रही है. इस मांग का परिणाम है कि अभी डीएमएफ का गठन हो रहा है. इसमें मिलने वाली राशि का बड़ा हिस्सा खनन प्रभावित लोगों और उस क्षेत्र के विकास पर खर्च होना चाहिए. सीएसइ ने इसके लिए सरकारों को सुझाव भी दिये है कि 50 फीसदी राशि स्थानीय समुदाय पर, 20 प्रतिशत राशि अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाले पर खर्च हो, दस फीसदी प्रशासनिक व्यय और 20 फीसदी राशि भविष्य के लिए जमा करके रखी जाये.
जहां खनिज, वहां जीवन नरकीय: डॉ शरण
रांची विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के शिक्षक डॉ रमेश शरण ने कहा कि दुनिया में जहां-जहां भी खनिज है, वहां के लोगों का जीवन ज्यादा खराब है. वह नरकीय स्थिति में जी रहे हैं. सरकार का यह प्रयास सराहनीय है. कम से कम सरकार अब मानने लगी है कि खनन से प्रभावित लोगों के लिए अलग से योजना बननी चाहिए. इसकी मॉनीटरिंग भी जरूर होनी चाहिए.
कई खामियां है इस एक्ट में : रमेश शर्मा
एकता परिषद के रमेश शर्मा ने कहा कि द माइंस एंड मिनरल्स डेवलपमेंट एक्ट-15 में कई खामियां है. इसमें सामाजिक स्वीकृति के ढांचे के खत्म कर दिया गया है. प्रावधान किया गया है कि एक हेक्टेयर में अवैध खनन करते पकड़े जाने पर मात्र पांच लाख रुपये दंड है. सरकार ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय के गठन का बात कहती है. लेकिन, आज न्यायालयों में 40 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं.
ग्राम सभा को मिले खर्च का अधिकार : सत्पथी
राज्य के खान विभाग के प्रधान सचिव एसके सत्पथी ने कहा है कि झारखंड के हर जिले को डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (डीएमएफ) से मिलने वाली राशि को खर्च करने का पूरा अधिकार ग्रामसभा को मिलना चाहिए. ग्राम सभा को ही योजना बनाने की जिम्मेदारी भी मिलनी चाहिए. जिनको खान-खनिज से नुकसान हो रहा है, यह राशि सीधे उनके लिए खर्च होनी चाहिए. झारखंड को खान-खनिज से काफी नुकसान हुआ है. इसका आकलन नहीं किया जा सकता है. राज्य सरकार ने योजना आयोग से आग्रह किया है कि इसका अध्ययन कराये. उन्होंने सीएसइ को इस एक्ट का ड्राफ्ट तैयार करने का आग्रह किया.
बालू घाट ग्राम सभा को देने का अनुभव ठीक नहीं : समाजसेवी दयामनी बारला के एक सवाल के जवाब में खान सचिव एसके सत्पथी ने कहा कि 2006 में बालू घाट ग्राम सभा को दिया गया था. यह अनुभव सरकार के लिए अच्छा नहीं रहा. इसका फायदा उस समय लोकल ठेकेदारों ने उठा लिया था. इस कारण सरकार ने ऑक्शन का तरीका अपनाया.

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