मुंबई. प्रधानमंत्री नरंेद्र मोदी द्वारा ‘दूसरी हरित क्रांंति’ पर जोर देने के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप और बुनियादी ढांचे में सुधार उच्च कृषि उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है. बंेगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीच्यूट ॲफ साइंस के जी पद्मनाभन ने कहा कि पारंपरिक खेती हमारी बढ़ती आबादी की खाद्य मांग को पूरा नहीं कर सकेगी. यहां जैव-प्रौद्योगिकी, आनुवंशिक रूप से परिवर्द्धित (जीएम) फसलों से मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल के आंकड़ों से स्पष्ट है कि उपज घटी है और जनसंख्या वृद्धि की दर कृषि वृद्धि के मुकाबले ज्यादा तेज रही है. उन्होंने कहा कि भारत आबादी के लिहाज से अगले 15-20 साल में चीन को पार कर जायेगा और 2030 तक यह आबादी 1.6 अरब पहुंच जायेगी. उनका मानना है कि हरित क्रांति और प्रौद्योगिकी का उपयोग क्षेत्र विशेष के लिहाज से नहीं करना चाहिए.
दूसरी हरित क्रांति प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण
मुंबई. प्रधानमंत्री नरंेद्र मोदी द्वारा ‘दूसरी हरित क्रांंति’ पर जोर देने के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप और बुनियादी ढांचे में सुधार उच्च कृषि उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है. बंेगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीच्यूट ॲफ साइंस के जी पद्मनाभन ने कहा कि पारंपरिक खेती हमारी बढ़ती आबादी की खाद्य मांग को पूरा नहीं […]
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