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शिव सेना ने आडवाणी से आपातकाल संबंधी टिप्पणी पर किये सवाल

बतायें, कौन नेता था निशाने परएजेंसियां, मुंबईलालकृष्ण आडवाणी के देश में दोबारा आपातकाल जैसे हालात की आशंका से इनकार नहीं किये जाने संबंधी चर्चित बयान के बाद शिव सेना ने सोमवार को कहा कि अगर भाजपा के दिग्गज नेता किसी नेता की ओर इशारा कर रहे थे तो उन्हें खुल कर अपनी बात रखनी चाहिए. […]

बतायें, कौन नेता था निशाने परएजेंसियां, मुंबईलालकृष्ण आडवाणी के देश में दोबारा आपातकाल जैसे हालात की आशंका से इनकार नहीं किये जाने संबंधी चर्चित बयान के बाद शिव सेना ने सोमवार को कहा कि अगर भाजपा के दिग्गज नेता किसी नेता की ओर इशारा कर रहे थे तो उन्हें खुल कर अपनी बात रखनी चाहिए. शिव सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, जब आडवाणी ने आपातकाल के फिर से आने को लेकर आशंका प्रकट की है, तो वह निश्चित तौर पर किसी की ओर इशारा कर रहे हैं. उनके आशंका को कैसे हल्के में लिया जा सकता है? आडवाणी की देश के ‘सबसे बड़े कद के नेता’ के तौर पर सराहना करते हुए शिव सेना ने कहा, आज वह भले ही मुख्यधारा की राजनीति में नहीं हों, लेकिन भाजपा नेता और मीडिया यह जानते हैं कि उनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. शिव सेना ने कहा कि आडवाणी 1975 में लगे आपातकाल के साक्षी हैं जब नेताओं को बिना पुख्ता वजहों के सलाखों के पीछे डाल दिया गया और देश में पूरी तरह अराजकता थी. भाजपा की सहयोगी पार्टी ने कहा, 40 साल के बाद अचानक से किस वजह से आडवाणी को यह सोचना पड़ा कि आपातकाल फिर से लग सकता है और लोकतंत्र को कुचला जा सकता है.शिवसेना ने आगे कहा कि आज के समय मीडिया, खासकर सोशल मीडिया बहुत मजबूत हो गया है और उस हालात की कल्पना करना मुश्किल है कि लोकतंत्र को कुचला जा सकता है. कहा, आडवाणी अगर भाजपा के आंतरिक मामलों को लेकर संकेत देना चाहते हैं तो उनको स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए. क्योंकि अतीत में मुरली मनोहर जोशी और कीर्ति आजाद जैसे नेता भी बोल चुके हैं.

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