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उधार पर हो रहा है बाघों का संरक्षण
बेतला टाइगर प्रोजेक्ट पर डेढ़ करोड़ रुपये का उधार रांची : बेतला टाइगर रिजर्व में बाघों का संरक्षण उधार पर हो रहा है. बेतला टाइगर प्रोजेक्ट पर डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का उधार हो गया है. बकाया मजदूरों के अलावा वाहनों के तेल का भी है. मजदूरी की राशि करीब एक करोड़ रुपये है. […]
बेतला टाइगर प्रोजेक्ट पर डेढ़ करोड़ रुपये का उधार
रांची : बेतला टाइगर रिजर्व में बाघों का संरक्षण उधार पर हो रहा है. बेतला टाइगर प्रोजेक्ट पर डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का उधार हो गया है. बकाया मजदूरों के अलावा वाहनों के तेल का भी है. मजदूरी की राशि करीब एक करोड़ रुपये है. पिछले वित्तीय वर्ष का पैसा सरेंडर हो जाने के कारण ऐसा हुआ है.
अभी टाइगर प्रोजेक्ट में पानी का संकट हो गया है. इस कारण पिछले मार्च से जानवरों को टैंकर से पानी की आपूर्ति हो रही है. हर दिन करीब तीन टैंकर पानी की आपूर्ति हो रही है. एक टैंकर पानी की दर एक हजार रुपये है. इसका पैसा भी नहीं दिया गया है. केवल पानी के लिए ही तीन लाख रुपये के आसपास बकाया हो गया है. टाइगर फाउंडेशन की पूरी राशि भारत सरकार देती है.
7.15 करोड़ हो गया था सरेंडर
वन विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन (31 मार्च) स्कीम स्वीकृत कर राशि भेजी थी. राशि पलामू के ट्रेजरी में भेजी गयी थी. ट्रेजरी का लिंक फेल हो जाने के कारण राशि की निकासी नहीं हो सकी. राशि निकासी नहीं होने के कारण पैसे को सरेंडर कर देना पड़ा. अब नये सिरे से इस पैसे के उपयोग की प्रक्रिया शुरू की गयी है.
एक-एक साल का अवधि विस्तार
बेतला टाइगर रिजर्व में चल रही स्कीमों को एक-एकसाल का अवधि विस्तार दिया जाता है. 1974 में इसके गठन के बाद से ऐसा हो रहा है. इस बार फिर स्कीम की अवधि विस्तार के लिए विभाग को लिखा गया है. वहां से स्वीकृति मिलने के बाद राशि भारत सरकार देगी. 2015-16 के लिए भी बजट बनाकर राज्य सरकार के पास भेज दिया गया है. राज्य सरकार इसे केंद्र के पास भेज कर पैसे की मांग करेगी.
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