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स्पेक्ट्रम की कहानी, प्रदीप बैजल की जुबानी

पुस्तक के कुछ मुख्य अंशउन्होंने (दयानिधि मारन) चेतावनी दी थी कि यदि मैंने उनके निर्देश के अनुरूप काम नहीं किया, तो मुझे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. बाद में वह सही साबित हुए. मुझे गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ा.प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) के नाम पर मारन हर काम करते रहे. इसी तरह उन्होंने स्पेक्ट्रम की कीमत […]

पुस्तक के कुछ मुख्य अंशउन्होंने (दयानिधि मारन) चेतावनी दी थी कि यदि मैंने उनके निर्देश के अनुरूप काम नहीं किया, तो मुझे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. बाद में वह सही साबित हुए. मुझे गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ा.प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) के नाम पर मारन हर काम करते रहे. इसी तरह उन्होंने स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने के मुद्दे पर बने मंत्रिसमूह से खुद को अलग कर लिया.रतन टाटा ने वर्ष 2004 में मुझे बताया कि किस तरह दयानिधि मारन उन्हें धमका रहे हैं. मारन ने उनसे कहा है कि यदि उन्होंने टाटा स्काइ का सन टीवी में विलय नहीं किया, तो वह उन्हें बरबाद कर देंगे. हालांकि, टाटा ने मारन के सामने झुकने से इनकार कर दिया.सीबीआइ जांच के दौरान मैं यह समझ ही नहीं पा रहा था कि एजेंसी मेरे खिलाफ इतनी आक्रामक क्यों थी. वे मुझे और मेरे परिवार को तबाह करने की धमकी दे रहे थे. हालांकि, बाद में उन्होंने मुझे गाजर दिखाने की भी कोशिश की. कहा कि यदि रतन टाटा और अरुण शौरी को मैं फंसा दूं, तो वे मुझे छोड़ देंगे. यह वर्ष 2004 में मारन द्वारा रतन टाटा को दी गयी धमकी के समान था.सीबीआइ अधिकारी बार-बार मुझे धमका रहे थे कि यदि मैंने उनसे सहयोग नहीं किया, तो मुझे परिणाम भुगतने होंगे. संयोग से यह बिल्कुल वैसा ही था जैसा 2जी केस में प्रधानमंत्री ने मुझसे कहा था.यूपीए-2 ने अपने विरोधियों को दबाने और अपने तमाम गुनाह छिपाने के लिए सीबीआइ को असीमित अधिकार दे दिये थे.

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