तसवीर अमित की हैरांची. चिन्मय मिशन आश्रम में आयोजित सत्संग में बुधवार को विवेक चूड़ामणि पर चर्चा हुई. स्वामी माधवानंद ने कहा कि अज्ञान के कारण ही मनुष्य तरह-तरह के बंधन में रहता है. इस बंधन की वजह से ही दुख होता है. बंधन और अज्ञानता को समाप्त करने के लिए ज्ञान की जरूरत है. स्वामी माधवानंद ने आत्मा व अनात्म पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि अनात्म, आत्मा से ही पैदा हुआ है. यह उसी तरह है कि जैसे तालाब के पानी में काई पैदा होता है. जिस तरह काई पानी को ढंक लेता है उसी तरह अनात्म भी आत्मा को ढंक लेता है. अनात्म से उत्पन्न आवरण को हटाने से ही आत्मा के दर्शन होते हैं. अनात्म को हटाने से शुद्धता, नित्यानंद, एकरस, अंतर्यामी, परमतत्व और स्वयं प्रकाश की प्राप्ति संभव है. इससे पूर्व स्वामी जी ने ध्यान और योग की क्रियाएं भी करायी.
अज्ञान के कारण ही मनुष्य बंधन में रहता है : स्वामी माधवानंद
तसवीर अमित की हैरांची. चिन्मय मिशन आश्रम में आयोजित सत्संग में बुधवार को विवेक चूड़ामणि पर चर्चा हुई. स्वामी माधवानंद ने कहा कि अज्ञान के कारण ही मनुष्य तरह-तरह के बंधन में रहता है. इस बंधन की वजह से ही दुख होता है. बंधन और अज्ञानता को समाप्त करने के लिए ज्ञान की जरूरत है. […]
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