रांची: कक्षा में शिक्षकों की उपस्थिति के मामले में देश में झारखंड की गिनती नीचे के राज्यों में होती है. राज्य के अधिकांश स्कूलों में शिक्षक (कुछ अपवाद स्वरूप भी हैं) समय पर स्कूल नहीं आते. पर टीयूएसएसवी प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय ओरमांझी की शिक्षिका ओमोल भेंगरा अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी स्कूल में पूर्व की भांति पढ़ा रही हैं. बच्चों को पढ़ाने की ललक उन्हें स्कूल खींच लाया. विद्यालय में लगभग 600 छात्रएं हैं, जबकि दो स्थायी शिक्षक हैं.
बच्चों की प्यारी भेंगरा
भेंगरा की विदाई समारोह के दिन विद्यालय की छात्रएं उनसे कहने लगी कि मैडम अब हम लोगों को कौन पढ़ायेगा. मैट्रिक की छात्रओं ने कहा कि उनका रिजल्ट खराब हो जायेगा. भेंगरा बच्चों के आग्रह को ठुकरा नहीं सकी. बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्होंने फिर से स्कूल ज्वाइन कर लिया.
समय पर आती हैं स्कूल : श्रीमती भेंगरा चुटिया में रहती हैं. स्कूल आने-जाने में प्रतिदिन लगभग 50 रुपये खर्च होते हैं. सरकार या स्कूल की ओर से उन्हें कुछ नहीं मिलता. भेंगरा बताती हैं कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी है, ऐसे में बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद भी स्कूल में कक्षा लेते रहने का निर्णय लिया. एक नियमित शिक्षक की तरह श्रीमती भेंगरा प्रतिदिन समय पर स्कूल आती हैं. वह विद्यालय में बच्चों को सामाजिक विज्ञान पढ़ाती हैं.