23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बढ़ती गयी गरमी, घटती गयी बारिश

झारखंड : 50 वर्षो में आया राज्य के मौसम में व्यापक बदलाव मनोज सिंह रांची : पिछले 50 वर्षो के दौरान झारखंड के मौसम में व्यापक बदलाव आया है. पहले गरमी के दिनों में राज्य के कुछ जिलों का अधिकतम तापमान ही 40 डिग्री सेसि से अधिक होता था. आज तो राजधानी (कभी संयुक्त बिहार […]

झारखंड : 50 वर्षो में आया राज्य के मौसम में व्यापक बदलाव
मनोज सिंह
रांची : पिछले 50 वर्षो के दौरान झारखंड के मौसम में व्यापक बदलाव आया है. पहले गरमी के दिनों में राज्य के कुछ जिलों का अधिकतम तापमान ही 40 डिग्री सेसि से अधिक होता था. आज तो राजधानी (कभी संयुक्त बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी) का तापमान ही कई दिनों तक 40 डिग्री सेसि से अधिक रहता है. इसका कारण झारखंड के आबोहवा में बदलाव है.
सरकारी कागजों पर जंगल बढ़ा है. 1999 में झारखंड वाले हिस्से में 21644 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र था. 2013 में यह बढ़ कर 23473 वर्ग किलोमीटर हो गया है. यह कुल क्षेत्रफल का करीब 24.45 फीसदी है. वन विभाग के अधिकारी ही कहते हैं जंगल कटा है, लेकिन वृक्षारोपण भी हुआ है.
वृक्षारोपण के कारण ही आकड़ा हमेशा बढ़ता दिखता है. घने जंगलों की संख्या में कमी आयी है. इसका वायुमंडल पर असर पड़ा है. मौसम अनियमित हो गया है. 1961-70 तक राज्य में 70 से 80 दिनों तक बारिश होती थी. 2001-2013 तक के आकड़े (बीएयू के मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त) बताते हैं कि अब 50 से 55 दिनों तक ही राज्य में बारिश होती है.
विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष
मई का तापमान एक डिग्री बढ़ा
बीएयू के मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त आकंड़े के अनुसार मई माह में औसतन तापमान एक डिग्री सेसि बढ़ गया है. 1961 से 1970 तक मई माह का औसत तापमान 34.4 डिग्री सेसि था. 1970 से 2011 का औसत तापमान 36.7 डिग्री सेसि हो गया है. इसी तरह ठंड में रांची का तापमान अनियमित हो गया है. पहले राजधानी का न्यूनतम तापमान शून्य नहीं होता था, लेकिन पिछले तीन-चार वर्षो से कई दिनों तक न्यूनतम तापमान शून्य तक पहुंच जा रहा है.
क्या है कारण?
बीएयू के मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ ए बदूद बताते हैं कि इसके कई कारण हैं. मुख्य रूप से जंगलों की कटाई के कारण मौसम अनियमित हो गया है. घना जंगल अब पतला हो गया है. प्राकृतिक संसाधनों का अविवेकपूर्ण दोहन हो रहा है. जल संग्रहण और संचयन पर बहुत काम नहीं हुआ है. आज भी दशकों पुराने डैम और तालाब हैं. इस कारण जल के रिचार्ज होने की व्यवस्था काफी कम है. जल भंडारण की कमी होगी, तो तापमान बढ़ेगा. जल रहने से गरमी के दिनों में वाष्पीकरण भी होता है. इससे स्थानीय बादल बनता है. यह बारिश का कारण होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें