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आठ जिला परिषदों में हिसाब का रजिस्टर ही नहीं

पीएजी की रिपोर्ट : पंचायती राज संस्थाओं में भारी गड़बड़ी की आशंका रांची : राज्य के जिला परिषदों में सरकार से मिले अनुदान के खर्च का लेखा-जोखा रखने के लिए रजिस्टर ही नहीं बनाया गया है. कई जिला परिषदों के कर्मचारियों ने वर्ष 2008 से 2010 तक की अवधि में वसूले गये राजस्व का न […]

पीएजी की रिपोर्ट : पंचायती राज संस्थाओं में भारी गड़बड़ी की आशंका
रांची : राज्य के जिला परिषदों में सरकार से मिले अनुदान के खर्च का लेखा-जोखा रखने के लिए रजिस्टर ही नहीं बनाया गया है. कई जिला परिषदों के कर्मचारियों ने वर्ष 2008 से 2010 तक की अवधि में वसूले गये राजस्व का न तो ब्योरा सौंपा है और न ही राशि जिला परिषद के खजाने में जमा करायी है.
प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने ऑडिट में मिले इन तथ्यों के मद्देनजर पंचायती राज संस्थाओं में भारी गड़बड़ी की आशंका जतायी है.
पीएजी की रिपोर्ट में पंचायती राज संस्थाओं की चर्चा करते हुए कहा गया है कि पंचायती राज संस्थाओं में वित्तीय प्रबंधन की जांच पड़ताल के लिए आठ जिला परिषदों का ऑडिट किया गया.
इनमें बोकारो, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, गुमला,जामताड़ा, पाकुड़ और चाईबासा जिला परिषद शामिल है. इनमें से किसी भी रजिस्टर में एडवांस रजिस्टर, ग्रांट रजिस्टर, लोन रजिस्टर और एसेट रजिस्टर नहीं है. पंचायत राज बजट एंड अकाउंट मैनुअल के तहत पंचायती राज संस्थाओं में नि रजिस्टरों का होना आवश्यक है.
एडवांस रजिस्टर नहीं होने की वजह से इन आठों में से किसी भी जिला परिषद से इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी कि परिषद ने किस योजना के लिए अग्रिम के तौर पर कितनी राशि दी है और खर्च की क्या स्थिति है. लोन रजिस्टर नहीं होने की वजह से इस बात की भी जानकारी नहीं मिल सकी, कि इन जिला परिषदों के किस कर्मचारी को कितनी राशि बतौर कर्ज दी गयी है. उसने कर्ज की राशि लौटायी है या नहीं.
इन जिला परिषदों में ग्रांट रजिस्टर नहीं होने की वजह से इस बात की भी जानकारी नहीं मिल सकी कि सरकार से अनुदान के रूप में मिली राशि कहां और कैसे खर्च हुई है. जिस काम के लिए अनुदान दिया गया है, उसे उसी काम में इस्तेमाल किया गया है या नहीं.
एसेट रजिस्टर नहीं होने की से इस बात की भी जानकारी नहीं मिल सकी कि किस जिला परिषद की कितनी परिसंपत्ति है. पाकुड़ जिले के ऑडिट में टैक्स का हिसाब ही नहीं पाया गया. इस जिला परिषद में वर्ष 2008 से राजस्व वसूली के लिए सक्षम कर्मचारियों को रसीद दिया गया था.
पर अब तक किसी ने ना तो वसूली का हिसाब दिया है ना ही वसूली गयी रकम सरकारी खजाने में जमा करायी है. ऑडिट के दौरान अधिकारियों द्वारा पूछे जाने पर जिला परिषद के सीइओ ने बताया कि अमरापाड़ा के अंचल अधिकारी को रसीद दिये गये थे. काफी पत्रचार के बाद न तो वसूली का हिसाब मिला, न ही इसे जिला परिषद के फंड में जमा कराया गया.

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