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अनुशंसा खारिज कर फिर से निगरानी जांच शुरू
आवास बोर्ड : बिल्डरों व कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना बहुमंजिली इमारत बनाने के लिए दी गयी थी जमीन निगरानी एएसपी की अनुशंसा पर निगरानी एसपी ने लिया था जांच बंद करने का निर्णय रांची : आवास बोर्ड, भूमि घोटाला की जांच बंद करने का निर्णय कुछ दिन पूर्व निगरानी में एसपी के […]
आवास बोर्ड : बिल्डरों व कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना बहुमंजिली इमारत बनाने के लिए दी गयी थी जमीन
निगरानी एएसपी की अनुशंसा पर निगरानी एसपी ने लिया था जांच बंद करने का निर्णय
रांची : आवास बोर्ड, भूमि घोटाला की जांच बंद करने का निर्णय कुछ दिन पूर्व निगरानी में एसपी के रूप में पदस्थापित रहे राजकुमार लकड़ा (वर्तमान में ग्रामीण एसपी, रांची) ने लिया था. उन्होंने यह निर्णय मामले की जांच कर रहे निगरानी एएसपी आनंद जोसेफ तिग्गा की जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया था, लेकिन निगरानी आइजी मुरारी लाल मीणा को सूचना मिली कि मामले की जांच ठीक ढंग से नहीं हुई है.
इसलिए अब आइजी ने एसपी की अनुशंसा को खारिज करते हुए मामले की एक बार फिर से जांच करने का निर्णय लिया है. आइजी के निर्देश पर मामले की फिर से जांच शुरू कर दी गयी है.
उल्लेखनीय है कि सरकार के निर्देश पर आवास बोर्ड द्वारा बिल्डरों और निजी कंपनियों को गलत ढंग से भूमि देने से संबंधित मामले की जांच निगरानी वर्ष, 2010 से कर रही है. निगरानी को जांच के दौरान जानकारी मिली कि आवास बोर्ड के अधिकारियों द्वारा ही भूमि पर बहुमंजिली इमारत का निर्माण कराना था, लेकिन आवास बोर्ड के अधिकारियों ने रांची में हरमू, अरगोड़ा के अलावा जमशेदपुर, हजारीबाग और धनबाद में जमीन पर बहुमंजिली इमारत बनाने की जिम्मेवारी निजी कंपनियों और बिल्डरों को संयुक्त सहभागिता (पीपी मोड) पर दे दी. वह भी सरकार की अनुमति के बिना.
निगरानी को पूर्व के अनुसंधान के दौरान इससे संबंधित साक्ष्य भी मिले थे. निगरानी में पूर्व में एसपी के रूप में पदस्थापित रहे ददन जी शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया था कि बिल्डरों और निजी कंपनियों को भूमि देने से पहले सरकार से अनुमति ली जानी है, लेकिन नियम का अनुपालन नहीं कर बोर्ड के अधिकारियों ने गड़बड़ी की है. इसके लिए तत्कालीन एसपी ने बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन नजम अंसारी और प्रबंध निदेशक अब्राहम रौना की संलिप्तता पर सवाल भी उठाये थे. उन्हें जांच में दोषी भी ठहराया गया था, लेकिन निगरानी एएसपी को जांच के दौरान इससे संबंधित साक्ष्य नहीं मिले.
एडीजी ने भी की थी टिप्पणी
निगरानी ब्यूरो में पूर्व में एडीजी के रूप में पदस्थापित रहे नीरज सिन्हा और वर्तमान में विशेष सचिव (गृह विभाग) ने जांच के दौरान फाइल पर यह टिप्पणी की थी कि आवास बोर्ड द्वारा गलत तरीके से बिल्डरों और निजी कंपनियों को भूमि दी गयी थी. इसलिए मामले की ठीक से जांच की जाये, ताकि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके, लेकिन निगरानी ब्यूरो से नीरज सिन्हा के जाने के बाद निगरानी के अधिकारियों ने जांच बंद करने का निर्णय ले लिया.
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