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ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य हो रहे हैं प्रभावित

रांची: राज्य के ग्रामीण इलाकों में टय़ूबवेल मरम्मत का काम बंद हो गया है. चापानलों की साधारण मरम्मत के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव एपी सिंह की ओर से 12 मार्च 2015 को नये आदेश दिये गये हैं. इसके बाद से ही चापानल की मरम्मत का काम बाधित हो गया है. विभाग के […]

रांची: राज्य के ग्रामीण इलाकों में टय़ूबवेल मरम्मत का काम बंद हो गया है. चापानलों की साधारण मरम्मत के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव एपी सिंह की ओर से 12 मार्च 2015 को नये आदेश दिये गये हैं. इसके बाद से ही चापानल की मरम्मत का काम बाधित हो गया है. विभाग के दो टॉल फ्री नंबर 1800-356502 और 1800-356516 पर नया आदेश जारी होने की तिथि के बाद से सिर्फ 158 शिकायतें ही मिली हैं. इनमें से कितने टय़ूबवेल ठीक हुए, इसका आंकड़ा नहीं दिया गया है. राज्य भर में 4.04 लाख के आसपास टय़ूबवेल हैं, इनमें से 68 हजार टय़ूबवेल खराब हैं. गरमी के दिनों में टय़ूबवेल के खराब होने की शिकायतें मिलती हैं.
क्या है आदेश में: आदेश में कहा गया है कि किसी भी प्रमंडल अथवा जिले में चापाकल खराब रहेंगे, तो कार्यपालक अभियंता के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जायेगी. उपायुक्तों को टास्क फोर्स गठित कर प्रत्येक सप्ताह इसकी समीक्षा करने का निर्देश भी दिया गया था. इसके अलावा वेबसाइट पर टय़ूबवेल की स्थिति की जानकारी भी सार्वजनिक करने को कहा गया था. अंचल, प्रमंडल, विभाग के अवर प्रमंडलों में कंट्रोल रूम भी खोलने का निर्देश दिया गया था.
विभागीय आदेश में कहा गया था कि नलकूपों को चालू हालत में रखा जाये, ताकि पीने के पानी की दिक्कत नहीं हो. ग्राम जल स्वच्छता समिति की बैठक में भाग लेने के लिए कार्यपालक अभियंताओं को प्रेरित करने का आदेश दिया गया है. यह कहा गया है कि संबंधित ग्राम पंचायतों के मुखिया को शिडय़ूल आफ रेट्स (अधिसूचित दर) की कॉपी उपलब्ध करा दी जाये. वैसी समिति, जिसने सरकार की ओर से उपलब्ध करायी गयी राशि का 60 प्रतिशत खर्च कर, उसकी उपयोगिता सरकार को भेज दी है, उन्हें दूसरी किस्त की राशि उपलब्ध कराने का निर्देश भी कार्यपालक अभियंताओं को दिया गया था. सभी कार्यपालक अभियंताओं से कहा गया है कि वे सांसद और विधायकों को टय़ूबवेल की मरम्मत की सूचना दें.
क्या थी पहले की व्यवस्था
पूर्व में टय़ूबवेल की मरम्मत 24 घंटे के अंदर करने की व्यवस्था थी. इसके लिए सभी ग्राम जल और स्वच्छता समितियों को 712 रुपये की दर से टय़ूबवेल ठीक कराने के लिए दिये जाते थे. समिति की कोषाध्यक्ष जल सहिया को साधारण मरम्मत की ट्रेनिंग भी दी गयी थी.

अब पुल बनाना भी होगा मुश्किल
रांची: ग्रामीण इलाकों में पुल बनाना मुश्किल होगा, क्योंकि सरकार ने इस वित्तीय वर्ष से हर विधानसभा क्षेत्र में एक ही पुल बनाने की व्यवस्था की है. यानी हर विधायक की अनुशंसा पर मात्र एक ही पुल बनाया जायेगा. इस तरह पूरे राज्य भर में मात्र 81 पुल योजना को ही स्वीकृति दी जा सकेगी. वहीं, इस वित्तीय वर्ष में मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना का बजट भी घटा दिया गया है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 48 करोड़ रुपये बजट घटाया गया है. इस तरह इस वित्तीय वर्ष में 302 करोड़ रुपये बजट किया गया है.
राशि की हो सकती है कमी: चालू वित्तीय वर्ष में राशि की कमी हो सकती है, क्योंकि अभी 297 पुल योजनाओं पर काम जारी है. वहीं 81 नये पुल लिये जायेंगे. विभाग ने यह आकलन किया है कि इस वित्तीय वर्ष में विभाग को करीब 450 करोड़ रुपये की जरूरत है. यानी मौजूदा बजट से करीब 150 करोड़ रुपये अधिक राशि की जरूरत विभाग को पड़ेगी. राशि के अभाव में योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं.
चार से एक पुल पर आ गयी सरकार
वर्ष 2007-08 व 2008-09 के दौरान एक-एक विधायक के क्षेत्र के लिए चार-चार पुल योजनाओं की स्वीकृति होती थी. वहीं, आगे चल कर विधायकों को तीन पुल, फिर 2014-15 में दो-दो पुल दिये गये. इस बार घटा कर एक कर दिया गया. इधर, ग्रामीण इलाकों का प्रतिनिधित्व करनेवाले जन प्रतिनिधियों का कहना है कि गांवों में अब भी बहुत पुलों की जरूरत है. गांव-टोलों को एक-दूसरे से जोड़ने की दिशा में काफी काम बाकी है. जगह-जगह पर नाला व छोटी नदियों का बहाव होता है, जिससे आवागमन प्रभावित रहता है.

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