रांची: हाइकोर्ट ने मंगलवार को चतरा के पुरनाडीह कोलियरी के उत्खनन व ब्लास्टिंग से मकान क्षतिग्रस्त होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सीसीएल एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगायी. कोर्ट ने सीसीएल के सीएमडी को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. कहा कि सीसीएल की क्या पॉलिसी है. कितना उत्पादन होता है. प्रभावित एरिया के लिए उसके पास क्या योजना है?
मामले की सुनवाई के लिए 29 अगस्त की तिथि तय करते हुए कोर्ट ने दामोदर नदी को प्रदूषित करने, कोयला का कृत्रिम पहाड़ खड़ा करने तथा ब्लास्टिंग से मकान-स्कूलों के क्षतिग्रस्त होने पर कड़ी नाराजगी जतायी. कहा कि सीसीएल को दीवार बनाने के लिए भी कोर्ट का आदेश चाहिए. सीसीएल पुरानी कंपनी है, लेकिन उसका आइडिया भी पुराना है. झारखंड में कुछ नहीं हो सकता है. पेड़ काट दिया, पानी प्रदूषित कर दिया. इससे पर्यावरण को क्षति पहुंची है. इसके बाद बचा क्या है. मामले की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में हुई.
मामले की सुनवाई लगातार दूसरे दिन भी हुई
खंडपीठ ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए मौखिक टिप्पणी की. कहा कि बोर्ड के ऑफिसरों को प्रदूषण नहीं दिखता है. दामोदर नदी के पानी का रंग गहरा काला हो गया, कोयले का कृत्रिम पहाड़ खड़ा कर दिया गया, लेकिन ऑफिसरों को नहीं दिखा. जो प्रदूषण सबको दिखता है, वह बोर्ड को दिखाई नहीं देता है. नोटिस के बाद फिर नोटिस दी जाती है. इसे ही कार्रवाई मान ली जाती है, जबकि नोटिस दे देना कोई कार्रवाई नहीं है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुरेश उरांव ने जनहित याचिका दायर की है.