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अधर में लटका नामांकन

रांची: राज्य के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों (डिग्री व डिप्लोमा) की कुल 6609 सीटों पर नामांकन लटक सकता है. इंजीनियरिंग डिग्री कोर्स में सरकारी क्षेत्र के बीआइटी सिंदरी को छोड़ लगभग सभी निजी व स्वायत्त (कुल 12) कॉलेजों में सीटें खाली हैं. वहीं इंजीनियरिंग डिप्लोमा की सीटें सरकारी (15) व निजी (06) दोनों संस्थानों की है. […]

रांची: राज्य के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों (डिग्री व डिप्लोमा) की कुल 6609 सीटों पर नामांकन लटक सकता है. इंजीनियरिंग डिग्री कोर्स में सरकारी क्षेत्र के बीआइटी सिंदरी को छोड़ लगभग सभी निजी व स्वायत्त (कुल 12) कॉलेजों में सीटें खाली हैं. वहीं इंजीनियरिंग डिप्लोमा की सीटें सरकारी (15) व निजी (06) दोनों संस्थानों की है. इधर विभाग द्वारा नि:शक्तों के लिए अ़ारक्षित सीटों का बंटवारा गलत अनुपात में कर दिया गया. तीन फीसदी आरक्षण संबंधी कार्मिक विभाग के संकल्प के तहत दृष्टि, श्रवण व अन्य नि:शक्तता के लिए एक फीसदी के बजाय दृष्टि हीनों को ज्यादा सीटें आवंटित कर दी.

इससे मामला उलझ गया तथा संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद समय पर काउंसेलिंग नहीं करा सका. नतीजतन इंजीनियरिंग के डिग्री कोर्स के लिए दो काउंसेलिंग के बाद 2914 सीटें तथा डिप्लोमा (पोलिटेक्निक) की एक काउंसेलिंग के बाद 3695 सीटें रिक्त रह गयी. अब इन पर नामांकन होना सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन होगा. अत: इन सभी सीटों पर राज्य के विद्यार्थियों का नामांकन लटक सकता है.

इधर राज्य संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद ने डिप्लोमा के लिए 26 अगस्त से दूसरी काउंसेलिंग शुरू करने की सूचना दी है. इस संबंध में उप परीक्षा नियंत्रक रमाकांत सिंह का कहना है कि पर्षद नियम-कानून के तहत काम करता है. बगैर कोटे के काउंसेलिंग की बात वही कर सकता है, जिसे प्रक्रिया की जानकारी नहीं है.

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