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पावर ऑफ अटॉर्नी लेकर उठाया दूसरे का मुआवजा

जालसाजी : वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए अधिग्रहित हुई थी जमीन आनंद मोहन रांची : धनबाद में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए अधिग्रहित हुई जमीन में भी मुआवजे का बंदरबांट हुआ. गोविंदपुर अंचल के भेलाटांड में जमीन अधिग्रहण के नाम पर बिचौलियों ने मूल रैयतों के पैसे उठा लिये. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए करीब […]

जालसाजी : वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए अधिग्रहित हुई थी जमीन
आनंद मोहन
रांची : धनबाद में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए अधिग्रहित हुई जमीन में भी मुआवजे का बंदरबांट हुआ. गोविंदपुर अंचल के भेलाटांड में जमीन अधिग्रहण के नाम पर बिचौलियों ने मूल रैयतों के पैसे उठा लिये. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए करीब 10 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जानी थी. अधिग्रहण की प्रक्रिया 2011-12 में शुरू हुई. जमीन किसी के नाम थी, नोटिस तामिला किसी दूसरे के नाम पर हुआ.
पावर ऑफ अटॉर्नी बना कर मूल रैयतों के मुआवजा का पैसा दूसरे लोगों ने उठा लिया. जमीन अधिग्रहण में मुआवजा की राशि लेने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये गये. आदिवासी जमीन को बिना उपायुक्त के आदेश से हस्तांतरित कर दूसरे लोगों ने मुआवजा उठा लिया. इसमें भी करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई. गैर आबाद जमीन पर 15-16 करोड़ रुपये मुआवजा बांटे गये. जिला में बनायी गयी जांच कमेटी ने इसकी पुष्टि भी की है. जिला पंचायती राज पदाधिकारी, भूमि सुधार उपसमाहर्ता, अपर समाहर्ता, अपर समाहर्ता, धनबाद की जांच में मुआवजा बांटे जाने में अनियमितता की बात कही गयी है.
रजिस्टर-टू देखा नहीं मुआवजा बांट दिया
भुगतान के लिए खतियान और रजिस्टर (पंजी)-टू को आधार नहीं बनाया गया. इससे मूल रैयत का पता नहीं चला. जांच रिपोर्ट में भी यह बात सामने आयी है कि तैयार पंचाट में किस रैयत की कितनी जमीन अधिग्रहित की गयी है, इसे अंचला से अधिकारी सत्यापित नहीं कराया गया. धारित भूमि का ब्योरा अंचलाधिकारी से प्राप्त नहीं किया गया.
मुआवजा घोटाले की सीबीआइ जांच हो : बंधु
रांची : पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने कहा है कि गरीब आदिवासियों के मुआवजे की राशि हड़पने के मामले को सरकार गंभीरता से ले. गरीब आदिवासियों का 11 करोड़ रुपये बिचौलिया ने हड़प लिये. राज्य में विकास के नाम पर आदिवासियों को इसी तरह ठगा जा रहा है.
पूरे मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए. राज्य में यह फरजीवाड़ा चल रहा है. सरकार आदिवासी-मूलवासी की जमीन अधिग्रहित कर रही है, लेकिन पैसा दलाल खा रहे हैं. रघुवर दास सरकार आदिवासियों की बात करती है, तो मजबूत इच्छा शक्ति दिखाये. सरकार इस मामले को गंभीरता से ले, नहीं तो आदिवासी-मूलवासी सड़क पर उतरेंगे.

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