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बिना टेंडर के काम, भुगतान भी

रांची: कृषि घोटाले में फंसे अधिकारी ने दिल्ली की एक संस्था को बिना टेंडर व बिना वर्क ऑर्डर के दो करोड़ रुपये का काम दिया. साथ ही उसे 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया. सहकारिता विभाग द्वारा करायी गयी जांच में वेजिटेबल फेडरेशन (वेजफेड) के एमडी सहित अन्य अधिकारियों का यह कारनामा उजागर […]

रांची: कृषि घोटाले में फंसे अधिकारी ने दिल्ली की एक संस्था को बिना टेंडर व बिना वर्क ऑर्डर के दो करोड़ रुपये का काम दिया. साथ ही उसे 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया. सहकारिता विभाग द्वारा करायी गयी जांच में वेजिटेबल फेडरेशन (वेजफेड) के एमडी सहित अन्य अधिकारियों का यह कारनामा उजागर हुआ है.

कृषि घोटाले के फरार अधिकारी अजेश्वर प्रसाद सिंह को इनिशिएटिव (एनवीआइ) का नोडल पदाधिकारी बनाया गया था. कृषि विभाग ने दो करोड़ रुपये वेजफेड को दिये थे. यह राशि किसानों के 100 समूहों के गठन पर खर्च की जानी थी. अजेश्वर प्रसाद ने एनवीआइ के नोडल पदाधिकारी की हैसियत से वेजफेड के एमडी व अन्य अधिकारियों से मिल कर बिना टेंडर के ही किसानों के समूहों (एफपीओ) के गठन का काम दिल्ली की संस्था स्मॉल फारमर्स एग्रीकल्चर कंसोटियम (एसएफएसी) को दे दिया. वेजफेड ने इस संस्था के साथ न तो कोई एकरारनामा किया और न ही उसे इस काम के लिए कोई वर्क ऑर्डर दिया. संस्था द्वारा कराये गये कार्यो का मूल्यांकन नहीं कराया गया. इसके बावजूद इस संस्था को 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया. वेजफेड के एमडी ने इसमें से कुछ रकम का अपने ही स्तर से और कुछ अध्यक्ष की अनुमति के बाद भुगतान कर दिया.

जांच अधिकारी द्वारा उठाये गये सवालों का संतोषप्रद जवाब देने के बदले वेजफेड के एमडी ने इसे नोडल पदाधिकारी अजेश्वर सिंह के निर्देशानुसार किया गया काम बताया. जांच में यह भी पाया गया कि दिल्ली की इस संस्था ने सर्वे और किसानों के समूहों के गठन का काम रांची की ‘सीटीआरएएन’ और इंडियन ग्रामीण सर्विसेज नामक संस्था को दे दिया है. सीटीआरएएन नामक संस्था हरमू के मकान नंबर एम-46 और इंडियन ग्रामीण सर्विसेज नामक संस्था कडरू एजी कॉलोनी के एक मकान से संचालित है.

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के आधार पर एक समूह के गठन पर 2600 रुपये का खर्च है. इसके बावजूद इस मामले में शामिल अधिकारियों ने किस आधार पर प्रति समूह दो-दो लाख रुपये के हिसाब से भुगतान की योजना बनायी, यह स्पष्ट नहीं है.

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