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अब आसान नहीं है मंत्री का पीए बनना

रांची: झारखंड में मंत्रियों का निजी या आप्त सचिव बनना अब आसान नहीं रहा. राज्य के भूतपूर्व मंत्रियों के सचिवों के चर्चित कारनामों के मद्देनजर सरकार ने नया फैसला लिया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मंत्रियों के निजी या आप्त सचिव के चयन से पहले उनके कार्यकलापों की जांच कराने का आदेश दिया है. इसी […]

रांची: झारखंड में मंत्रियों का निजी या आप्त सचिव बनना अब आसान नहीं रहा. राज्य के भूतपूर्व मंत्रियों के सचिवों के चर्चित कारनामों के मद्देनजर सरकार ने नया फैसला लिया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मंत्रियों के निजी या आप्त सचिव के चयन से पहले उनके कार्यकलापों की जांच कराने का आदेश दिया है. इसी वजह से कई मंत्रियों द्वारा निजी या आप्त सचिवों के नाम का प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी उनकी नियुक्ति का आदेश नहीं निकला है.

मुख्यमंत्री ने निगरानी विभाग और विशेष शाखा को जांच एजेंसियों के रूप में नियुक्त किया है. दोनों एजेंसियां मंत्रियों द्वारा नामित या प्रस्तावित व्यक्ति के चरित्र की जांच करेगी. जांच रिपोर्ट में संबंधित व्यक्ति के भूतपूर्व कार्यकलापों के अलावा उनकी संपत्ति का भी विवरण होगा. बाहरी कोटे से निजी सचिव बनने वाले व्यक्ति से संबंधित रिपोर्ट विशेष शाखा बनायेगी. हालांकि निगरानी विभाग द्वारा भी उसे स्वच्छता प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा.

मालूम हो कि झारखंड में मंत्रियों के आप्त सचिवों का इतिहास बहुत अच्छा नहीं रहा है. मंत्रियों का पीए बनने के लिए पैरवी और लॉबिंग का खेल होता रहा है. राज्य के कई पूर्व मंत्रियों के आप्त सचिवों पर आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सीबीआइ तक का छापा पड़ चुका है. एक मंत्री के पीए के पास करोड़ों रुपये भी बरामद किये गये थे. पूर्व की घटनाओं से सबक लेते हुए नियुक्ति के पहले मंत्रियों की जांच का आदेश दिया गया है. दोनों एजेंसियों की सकारात्मक जांच रिपोर्ट आने के बाद मंत्रियों के सचिवों का नियुक्ति आदेश जारी किया जायेगा.

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