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विधानसभा सत्र : विधायकों ने उठाये गड़बड़ियों के कई मामले, सरकार ने भी दिखायी गंभीरता
विधानसभा सत्र : भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्त हुआ सदन पीएमजीएसवाइ के तहत बनायी गयी सड़कों में गुणवत्ता की कमी हो , सिकिदिरी हाइडल पावर के जीर्णोद्धार व मरम्मत में गड़बड़ी या फिर पीएचइडी के इंजीनियर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने का मामला, भ्रष्टाचार के किसी भी मामले पर सदन पूरी तरह से […]
विधानसभा सत्र : भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्त हुआ सदन
पीएमजीएसवाइ के तहत बनायी गयी सड़कों में गुणवत्ता की कमी हो , सिकिदिरी हाइडल पावर के जीर्णोद्धार व मरम्मत में गड़बड़ी या फिर पीएचइडी के इंजीनियर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने का मामला, भ्रष्टाचार के किसी भी मामले पर सदन पूरी तरह से सख्त दिखा. सड़क निर्माण में हुई गड़बड़ी की जांच विधानसभा की विशेष कमेटी से व हाइडल पावर के जीर्णोद्धार में हुई गड़बड़ी की जांच सचिव स्तर के अधिकारी से कराने का आदेश दिया गया है. वहीं आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने इंजीनियर को सस्पेंड करने की घोषणा सदन में की है और स्पीकर ने निगरानी जांच का आदेश दिया.
पीएमजीएसवाइ सड़कों की होगी जांच
रांची : राज्य भर में विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) के तहत बनायी गयीं सड़कों की जांच विधानसभा की विशेष कमेटी करेगी. एक महीने में जांच रिपोर्ट सदन को सुपुर्द करने का निर्देश भी स्पीकर ने दिया. गुरुवार को स्पीकर दिनेश उरांव ने पक्ष-विपक्ष के विधायकों द्वारा पीएमजीएसवाइ का मामला उठाये जाने के बाद वर्ष 2010-11 से इस योजना के तहत हुए कार्यो की जांच के आदेश दिये. स्पीकर ने अपने नियमन में कहा कि केंद्रीय उपक्रमों द्वारा इस योजना के तहत सड़क, पुल-पुलिया जो भी बनाये गये होंगे, उसकी जांच होगी.
सत्र की पहली पाली में ध्यानाकर्षण के तहत सत्ता पक्ष के विधायक शिवशंकर उरांव ने यह मामला उठाया था. विधायक श्री उरांव का कहना था कि उनके क्षेत्र में ग्रामीण सड़कों का काम अधूरा है. वर्षो से सड़क पूरी नहीं हुई है. प्रभारी मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा का जवाब था कि काम एनबीसीसी द्वारा किया जा रहा है. काम जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है.
सत्ता पक्ष की ही विधायक विमला प्रधान का कहना था कि एनपीसीसी के अधिकारी अनुश्रवण की बैठक में नहीं आते. इनका कोई कार्यालय भी नहीं है. विधायक लक्ष्मण टुडू ने कहा कि काम पूरा नहीं हो रहा है. पैसे लैप्स कर रहे हैं. उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. विपक्षी विधायक गीता कोड़ा का कहना था कि एनपीसीसी पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. डीसी कहते हैं कि हम क्या करें, इसके अधिकारी बैठक में नहीं आते.
केंद्रीय एजेंसियों को दिये अधिकतर काम
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का अधिकतर काम केंद्रीय एजेसिंयों को दिया जा रहा है. इसके तहत एनपीसीसी, एनबीसीसी, इरकॉन व एचएससीएल को काम दिये गये हैं. गुमला जिले में सबसे पहले एनबीसीसी को काम दिया गया था, लेकिन उसने काम नहीं किया. सारा काम पेंडिंग रह गया. बाद में सारा काम एनपीसीसी को दिया गया है. अभी भी वहां बड़ी संख्या में योजनाएं पेंडिंग है. इधर राज्य सरकार द्वारा पीएमजीएसवाइ के लिए बनायी गयी ऑथोरिटी जेएसआरआरडीए के पास केंद्रीय एजेंसियों की तुलना में काफी कम काम है, जबकि जेएसआरआरडीए के पास संसाधन भी ज्यादा हैं.
क्या मजबूरी है कि सरकार एनबीसीसी से करा रही है काम
सत्ता पक्ष के विधायक राधाकृष्ण किशोर ने कहा : यह गंभीर मामला है. सरकार की क्या मजबूरी है कि वह अपने संस्थाओं से काम कराने के बजाय करोड़ों का काम एनबीसीसी / एनपीसीसी से करा रही है. इसका ना तो ऑफिस है, ना ही अधिकारी. यह संस्था काम सबलेट करती है.
चार-चार वर्ष में काम पूरा नहीं हो रहा है. पूरे राज्य के यही हालात हैं. विधानसभा की विशेष कमेटी से जांच करायें. प्रभारी मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि यह मामला पहले भी सदन में आता रहा है. हम भी उठाते रहे हैं. विभाग में वर्क लोड के कारण एनबीसीसी जैसी संस्था को काम दिया गया है. सत्ता पक्ष के राधाकृष्ण किशोर का कहना था कि ऐसी संस्था को बचाने की जरूरत नहीं है. काम में लापरवाही है. हम 11 वें चरण में हैं, दूसरे राज्य 14-15 चरण पूरा कर चुके हैं. इसके बाद पक्ष-विपक्ष के कई विधायक अपनी जगह पर खड़े हो कर जांच की मांग करने लगे. सदन की भावना को देखते हुए स्पीकर ने विशेष कमेटी से जांच कराने का नियमन दिया.
सिकिदिरी हाइडल पावर जीर्णोद्धार की जांच होगी
रांची : सिकिदरी हाइडल पावर के जीर्णोद्धार और मरम्मत के काम में वित्तीय अनियमितता की जांच होगी. गुरुवार को स्पीकर दिनेश उरांव ने प्रदीप यादव द्वारा काम में वित्तीय अनियमितता का मामला उठाये जाने पर अधिकारियों से जांच कराये जाने का नियमन दिया. स्पीकर ने वर्ष 2013 में सिकिदरी हाइडल के जीर्णोद्धार के काम की जांच मुख्य सचिव, वित्त सचिव, पीडब्लूडी या भवन निर्माण सचिव की कमेटी से कराने का निर्देश दिया.
झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने अल्पसूचित के तहत यह मामला उठाते हुए सरकार से जवाब मांगा था कि किस परिस्थिति में दो करोड़ रुपये का काम 22 करोड़ रुपये में कराया गया. श्री यादव का कहना था कि हाइडल पावर का 2005 में जीर्णोद्धार हुआ था. भारत सरकार के अनुसार हाइडल पावर का काम दस वर्षो बाद कराया जाने का मापदंड तय है, फिर काम 2013 में ही क्यों कराया गया. वर्ष 2005 में यही काम 69 लाख में टेंडर द्वारा भेल से कराया गया था. प्रभारी मंत्री सीपी सिंह का कहना था कि यह सही है कि 2005 में यह काम भेल द्वारा टेंडर पर कराया गया है. विधायक श्री यादव ने सरकार से पूछा जब यह काम 2005 में टेंडर से हुआ, तो 2013 में नॉमिनेशन पर कैसे दे दिया गया.
जबकि 2005 में एनपीएल एलवन हुआ था, उसे यह कहते हुए कि काम के लिए सक्षम नहीं है, भेल को दिया गया. बाद में उसी भेल ने 2013 में काम एनपीएल को 15 करोड़ में सबलेट कर दिया. प्रभारी मंत्री ने कहा कि यह भी सही है कि एनपीएल एलवन हुआ था.
सदन में काफी देर तक मंत्री और विधायकों के बीच सवाल जवाब चलता रहा. मंत्री का कहना था कि एनपीएल काम करने में अक्षम है, यह नहीं कहा गया था. झाविमो विधायक ने कहा कि विभाग ने 4.8 करोड़ रुपये का प्राक्कलन तैयार किया था, फिर काम 22 करोड़ में दिया गया. भेल ने अपने अधिकारियों पर कार्रवाई की है. बिजली बोर्ड के अधिकारियों से भी सीबीआइ ने पूछताछ की है. सीबीआइ ने कॉलर पकड़ ही लिया है, तो सीबीआइ जांच का आदेश क्यों नहीं दे रहे हैं. स्पीकर ने कहा कि इस मामले की फिलहाल सचिव स्तर के अधिकारियों से जांच करा ली जाती है. एक सप्ताह बाद रिपोर्ट आने पर फिर चर्चा होगी.
इंजीनियर सस्पेंड, स्पीकर ने दिया निगरानी जांच का आदेश
सदन में उठाया पीएचइडी के इंजीनियर की अवैध संपत्ति और वित्तीय अनियमितता का मामला
विधायक ने दिया अवैध संपत्ति का प्रमाण, इंजीनियर ने छिपायी है संपत्ति
स्पीकर : पदाधिकारियों के लूट-खसोट से आहत हूं
रांची : पीएचइडी के धनबाद नंबर -1 डिवीजन में कार्यरत कार्यपालक अभियंता संजय कुमार को सस्पेंड कर दिया गया है. मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने इंजीनियर श्री कुमार को सस्पेंड करने की घोषणा गुरुवार को सदन में की. सदन में चर्चा के दौरान इंजीनियर द्वारा अवैध संपत्ति अजिर्त करने का मामला उठा, तो स्पीकर दिनेश उरांव ने निगरानी जांच का नियमन दिया. सत्र की पहली पाली में मासस विधायक अरूप चटर्जी ने पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता संजय कुमार द्वारा वित्तीय अनियमितता और अवैध संपत्ति अजिर्त करने का मामला उठाया था. विधायक ने सदन में इंजीनियर के चार-चार फ्लैट की तसवीर दिखायी.
विधायक ने ध्यानाकर्षण के तहत मामला उठाते हुए सरकार से पूछा था कि इंजीनियर ने विधायक फंड के 39 लाख में से 10 लाख रुपये कैसे डायर्वट कर दिया. सरकार ने अपने जवाब में माना था कि यह वित्तीय अनियमितता है. इस पर विधायक का कहना था कि अगर वित्तीय अनियमितता है, तो सरकार सस्पेंड करे. मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी हाइकोर्ट में दायर एक केस का हवाला दे रहे थे. विधायक श्री चटर्जी ने कहा कि वह इस मामले में भी आयेंगे, फिलहाल वित्तीय अनियमितता पर सरकार क्या करेगी. स्पीकर के हस्तक्षेप के बाद मंत्री श्री चौधरी ने इंजीनियर को सस्पेंड करने की घोषणा सदन में की.
इसके बाद मासस विधायक ने कहा कि हाई कोर्ट में जिस केस का हवाला दिया जा रहा है, वह दूसरा मामला है. रांची में कनीय अभियंता ने डीडीओ के प्रभार पर रहते हुए अपनी पत्नी के एनजीओ को लाखों रुपये दे दिये. विधायक का कहना था कि मामला हाई कोर्ट में गया था, तो इस पर सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने को कहा गया था. एक वर्ष तक सरकार ने शपथ पत्र दायर नहीं किया. विधायक का कहना था कि वैसे अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो, जिनके कारण शपथ पत्र दायर नहीं हो सका. प्रदीप यादव ने कहा कि विधायक सदन में पर्याप्त सबूत दे रहे हैं.
सरकार जांच से पीछे क्यों हट रही है. विधायक पूरी जवाबदेही के साथ सदन में सबूत दे रहे हैं, अब हमें क्या शपथ पत्र देना होगा. इसकी निगरानी जांच होनी चाहिए. विधायक श्री चटर्जी का कहना था कि यह इंजीनियर एडवांस में घूस मांगता है. आठ-आठ लाख तक इसके घूस का रेट है. ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को सरकार क्यों बचा रही है. सरकार निगगरानी जांच कराये. स्पीकर ने कहा : आसन की भी व्यथा सुनिए. किसी क्षेत्र के जनप्रतिनिधि अगर ऐसे गंभीर मामले उठा रहे हैं, तो कार्रवाई होनी चाहिए. मैं सरकार के पदाधिकारियों के लूट से आहत हूं. पूरे मामले की निगरानी जांच होगी.
लोकपाल ने दिया था एफआइआर का आदेश
विधायक अरूप चटर्जी ने सदन में बताया कि लोकपाल ने संजय कुमार पर एफआइआर करने का आदेश दिया था. वर्ष 2013 में अपनी पत्नी के एनजीओ को पैसे देने के मामले में शिकायत के बाद लोकपाल ने आदेश दिया था. मामला हाई कोर्ट में गया, तो यहां अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखायी. शपथ पत्र तक दाखिल नहीं हुआ.
कल्याण विभाग का मांगा हिसाब, नहीं मिला जवाब
प्रश्न हुआ स्थगित, सरयू राय ने कहा : एक अवसर दें, मंत्री जवाब से संतुष्ट करेंगी
रांची : विधानसभा में पहली पाली में अल्पसूचित के माध्यम से विधायक विरंची नारायण और दीपक बिरुआ ने कल्याण विभाग से विभिन्न योजनाओं पर खर्च का हिसाब मांगा. विधायकों ने सरकार से योजनावार खर्च की अद्यतन स्थिति की जानकारी मांगी. विधायकों का कहना था कि पैसा समाज के कमजोर वर्गो के लिए है. मंत्री को योजनाओं के चयन से लेकर क्रियान्वयन तक की जानकारी देनी चाहिए. मंत्री लुइस मरांडी के जवाब से विधायक संतुष्ट नहीं थे. सत्ता पक्ष के विधायक राधाकृष्ण किशोर ने प्रश्न को ध्यानाकर्षण समिति को सुपुर्द करने का आग्रह किया. इस पर संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय का कहना था कि प्रश्न स्थगित कर दिया जाये. एक अवसर दिया जाये, मंत्री अपने जवाब से संतुष्ट कर देंगी.
विधायक विरंची नारायण ने कल्याण मंत्री से पूछा था कि एससी, एसटी, आदिम जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए अनुदान में वर्ष 2014-15 में 250 करोड़ मिले, लेकिन राशि का उपयोग नहीं होने से लोग वंचित रह गये. मंत्री लुइस मरांडी ने अलग-अलग वर्ग के लिए खर्च का ब्योरा दिया. विधायक ने पूछा कि राशि कब और कैसे खर्च की गयी है.
स्पीकर दिनेश उरांव का कहना था कि प्रावधान के तहत 275 (1) के तहत जनप्रतिनिधियों का क्या रोल है. उधर इसी से संबंधित दूसरे प्रश्न में दीपक बिरुआ का कहना कि पैसा सही से खर्च नहीं होता है. वर्ष 2012-13 का पैसा खर्च नहीं हुआ है. पदाधिकारी डीसी बिल जमा नहीं करते हैं. कई योजनाएं लंबित हैं. डीसी बिल जमा नहीं करने वाले पदाधिकारियों पर कार्रवाई करें.
मंत्री लुइस मरांडी का कहना था कि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी. राधाकृष्ण किशोर का कहना था कि मामला कमजोर वर्गो से जुड़ी योजनाओं का कहा है. सरकार पूरी पारदर्शिता से काम करे. वर्ष 2012-13 का काम पूरा नहीं हुआ, सदन के लिए चिंता का विषय है. वाद-विवाद के बाद प्रश्न को आगे के लिए स्थगित कर दिया गया.
टीएसी का होगा गठन जिला में भी बनेगी कमेटी
कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने कहा कि राज्य में ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) का जल्द गठन होगा. इस संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा हुई है. स्पीकर का कहना था कि राज्य के 14 मेसो क्षेत्र में टीआइसी के माध्यम से काम होना है. कल्याण मंत्री ने कहा कि जिला स्तर पर भी समिति का गठन किया जायेगा. पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जनप्रतिनिधि भी योजनाओं के चयन और क्रियान्वयन में भागीदारी निभा सकते हैं.
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