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पीएमजीएसवाइ सड़कों की होगी जांच
रांची : राज्य भर में विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) के तहत बनायी गयीं सड़कों की जांच विधानसभा की विशेष कमेटी करेगी. एक महीने में जांच रिपोर्ट सदन को सुपुर्द करने का निर्देश भी स्पीकर ने दिया. गुरुवार को स्पीकर दिनेश उरांव ने पक्ष-विपक्ष के विधायकों द्वारा पीएमजीएसवाइ का मामला उठाये […]
रांची : राज्य भर में विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) के तहत बनायी गयीं सड़कों की जांच विधानसभा की विशेष कमेटी करेगी. एक महीने में जांच रिपोर्ट सदन को सुपुर्द करने का निर्देश भी स्पीकर ने दिया.
गुरुवार को स्पीकर दिनेश उरांव ने पक्ष-विपक्ष के विधायकों द्वारा पीएमजीएसवाइ का मामला उठाये जाने के बाद वर्ष 2010-11 से इस योजना के तहत हुए कार्यो की जांच के आदेश दिये. स्पीकर ने अपने नियमन में कहा कि केंद्रीय उपक्रमों द्वारा इस योजना के तहत सड़क, पुल-पुलिया जो भी बनाये गये होंगे, उसकी जांच होगी.
सत्र की पहली पाली में ध्यानाकर्षण के तहत सत्ता पक्ष के विधायक शिवशंकर उरांव ने यह मामला उठाया था. विधायक श्री उरांव का कहना था कि उनके क्षेत्र में ग्रामीण सड़कों का काम अधूरा है. वर्षो से सड़क पूरी नहीं हुई है. प्रभारी मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा का जवाब था कि काम एनबीसीसी द्वारा किया जा रहा है. काम जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है. सत्ता पक्ष की ही विधायक विमला प्रधान का कहना था कि एनपीसीसी के अधिकारी अनुश्रवण की बैठक में नहीं आते. इनका कोई कार्यालय भी नहीं है.
विधायक लक्ष्मण टुडू ने कहा कि काम पूरा नहीं हो रहा है. पैसे लैप्स कर रहे हैं. उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. विपक्षी विधायक गीता कोड़ा का कहना था कि एनपीसीसी पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. डीसी कहते हैं कि हम क्या करें, इसके अधिकारी बैठक में नहीं आते.
केंद्रीय एजेंसियों को दिये अधिकतर काम
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का अधिकतर काम केंद्रीय एजेसिंयों को दिया जा रहा है. इसके तहत एनपीसीसी, एनबीसीसी, इरकॉन व एचएससीएल को काम दिये गये हैं. गुमला जिले में सबसे पहले एनबीसीसी को काम दिया गया था, लेकिन उसने काम नहीं किया. सारा काम पेंडिंग रह गया. बाद में सारा काम एनपीसीसी को दिया गया है. अभी भी वहां बड़ी संख्या में योजनाएं पेंडिंग है. इधर राज्य सरकार द्वारा पीएमजीएसवाइ के लिए बनायी गयी ऑथोरिटी जेएसआरआरडीए के पास केंद्रीय एजेंसियों की तुलना में काफी कम काम है, जबकि जेएसआरआरडीए के पास संसाधन भी ज्यादा हैं.
क्या मजबूरी है कि सरकार एनबीसीसी से करा रही है काम
सत्ता पक्ष के विधायक राधाकृष्ण किशोर ने कहा : यह गंभीर मामला है. सरकार की क्या मजबूरी है कि वह अपने संस्थाओं से काम कराने के बजाय करोड़ों का काम एनबीसीसी/एनपीसीसी से करा रही है. इसका ना तो ऑफिस है, ना ही अधिकारी. यह संस्था काम सबलेट करती है. चार-चार वर्ष में काम पूरा नहीं हो रहा है. पूरे राज्य के यही हालात हैं. विधानसभा की विशेष कमेटी से जांच करायें.
प्रभारी मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि यह मामला पहले भी सदन में आता रहा है.
हम भी उठाते रहे हैं. विभाग में वर्क लोड के कारण एनबीसीसी जैसी संस्था को काम दिया गया है. सत्ता पक्ष के राधाकृष्ण किशोर का कहना था कि ऐसी संस्था को बचाने की जरूरत नहीं है. काम में लापरवाही है. हम 11 वें चरण में हैं, दूसरे राज्य 14-15 चरण पूरा कर चुके हैं. इसके बाद पक्ष-विपक्ष के कई विधायक अपनी जगह पर खड़े हो कर जांच की मांग करने लगे. सदन की भावना को देखते हुए स्पीकर ने विशेष कमेटी से जांच कराने का नियमन दिया.
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