Advertisement
विधानसभा सत्र : मानव तस्करी मामले में घिरी सरकार
विधानसभा सत्र : गायब हैं राज्य से 1281 बच्चे, विधायक प्रदीप यादव ने उठाया मामला सरकार ने कहा : वर्ष 2005 से 2014 तक 3829 बच्चे हुए थे लापता, जिसमें से 2548 बच्चों को खोज लिया गया रांची : सोमवार को विधानसभा में पहली पाली में मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) का मामला गूंजा. विधायक प्रदीप […]
विधानसभा सत्र : गायब हैं राज्य से 1281 बच्चे, विधायक प्रदीप यादव ने उठाया मामला
सरकार ने कहा : वर्ष 2005 से 2014 तक 3829 बच्चे हुए थे लापता, जिसमें से 2548 बच्चों को खोज लिया गया
रांची : सोमवार को विधानसभा में पहली पाली में मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) का मामला गूंजा. विधायक प्रदीप यादव ने अल्प सूचित प्रश्न के माध्यम से बच्चों के गायब होने का मामला उठाया. विधायक श्री यादव का कहना था कि वर्ष 2005 से 2014 तक 1177 बच्चों का सुराग नहीं मिल पाया है. सरकार बच्चों को खोजने में विफल रही है.
इस सवाल के जवाब में सरकार का कहना था कि वर्ष 2005 से 2014 तक 3829 बच्चे लापता हुए थे. इसमें 2548 बच्चों को खोज लिया गया है. शेष 1281 बच्चों का पता नहीं है. सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि विभिन्न थाने में 675 प्राथमिकी दर्ज हैं. प्रभारी मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा सरकार की ओर से सदन में जवाब दे रहे थे.
मंत्री का कहना था कि यह चिंता का विषय है. इस विषय पर सरकार समस्या का समाधान चाहती है. मंत्री ने बताया कि कई जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) काम कर रही है.
सदन में इस सवाल पर पक्ष-विपक्ष दोनों ने चिंता व्यक्त की. सत्ता पक्ष के विरंची नारायण का कहना था कि सरकार छत्तीसगढ़ की तर्ज पर प्लेसमेंट एक्ट बनाये. एनजीओ की मदद ले. सत्ता पक्ष के ही राधाकृष्ण किशोर ने अनुसंधान में हो रही देरी पर सवाल खड़ा किया. उनका कहना था कि सरकार खुद मान रही है कि 1281 लापता बच्चे के मामले में 675 प्राथमिकी हुई है. पुलिस के काम करने का यही तरीका है.
विधायक प्रदीप यादव ने सरकार को एएचटीयू की संरचना पर सरकार को घेरा. विधायक श्री यादव ने सरकार से पूछा कि इस यूनिट में सरकार के कौन-कौन लोग शामिल हैं. श्री यादव के सवाल पर सरकार की ओर से गोल-मोल जवाब आ रहा था. इसके बाद स्पीकर दिनेश उरांव ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पूरा प्रतिवेदन मंगा कर सदन में रखें. सदस्य को भी उपलब्ध करायें.
11 माह में 130 बच्चे गायब, प्राथमिकी सिर्फ 74 की
रांची : झारखंड में हर माह 12 बच्चे गायब होते हैं. दिया सेवा संस्थान ने अक्तूबर 2013 से अगस्त 2014 तक का आंकड़ा तैयार किया. इस दौरान 130 बच्चे गायब होने की बात कही गयी है. इन 11 महीनों में पुलिस ने सिर्फ 74 बच्चों के गायब होने की प्राथमिकी दर्ज की. 130 में से 99 बच्चों को मुक्त कराया गया. बच्चों को गायब करने की सबसे अधिक घटना इस साल जनवरी में हुई.
जनवरी में 50 बच्चों के गायब होने का मामला दर्ज किया गया. हेल्पलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक रांची, खूंटी, गुमला, लातेहार व धनबाद से बच्चों के गायब होने के मामले सामने आये. जबकि गिरिडीह, पाकुड़, साहेबगंज, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा, जमशेदपुर व चाईबासा से बच्चों के गायब होने की सूचना नहीं दर्ज करायी गयी है. इसकी वजह यह है इन इलाकों में बच्चों के गायब होने पर या तो कार्रवाई नहीं हो रही है या फिर ग्रामीणों में इसके प्रति जागरूकता नहीं है. वह थाना या हेल्पलाइन तक नहीं पहुंच रहे हैं.
हेल्पलाइन ने इन 11 महीनों में 1252 अभिभावकों के फोन रिसीव किये. हेल्पलाइन नंबर चालू होने के बाद राज्य के सिर्फ 45 थानों की पुलिस ने हेल्पलाइन से संपर्क किया.
सीआइडी को सौंपी गयी सूची
महिला आयोग की पूर्व सदस्य वासवी ने पिछले दिनों सीआइडी को एक सूची सौंपी है. इसमें 16 बच्चों के गायब होने की बात कही गयी है. एक बच्चे को सीआइडी ने दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय के परिसर स्थित आवास से तीन मार्च को बरामद किया. जो 15 बच्चे अभी भी गायब हैं, उनमें पाकुड़ के पांच पहाड़िया बच्चे, कोडरमा के सात व सरायकेला के तीन बच्चे शामिल हैं.
मानव तस्कर पन्नालाल की संपत्ति की होगी जांच
जांच इडी से कराने की अनुशंसा
सुरजीत सिंह, रांची
पुलिस मुख्यालय ने मानव तस्कर पन्नालाल महतो की संपत्ति की जांच इडी (इनफोर्समेंट डाइरेक्टोरेट) से कराने की अनुशंसा की है. इडी की जांच के बाद पन्नालाल की संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई होगी. पुलिस का मानना है कि पन्नालाल ने मानव तस्करी कर यह संपत्ति अजिर्त की है. प्रारंभिक जांच में पुलिस को पता चला है कि पन्नालाल ने 20 करोड़ रुपये (वर्तमान बाजार मूल्य) से अधिक की संपत्ति अजिर्त की है. अधिकांश संपत्ति की खरीद नकद में की गयी है. खूंटी पुलिस ने पन्नालाल को अक्तूबर 2014 में गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद उसने अपने स्वीकारोक्ति बयान में पुलिस के समक्ष अपनी संपत्ति की जानकारी दी थी.
यह भी बताया था कि खूंटी और दिल्ली के बैंकों में उसके नाम से छह और उसकी पत्नी के नाम से तीन बैंक अकाउंट हैं. इसके अलावा उसके पास फॉच्यरूनर और आइ-10 वाहन हैं. पन्नालाल ने पुलिस को दिये बयान में यह भी बताया था कि दिल्ली के कई रसूख वाले लोगों के घरों में काम करने के लिए उसने खूंटी व गुमला से युवतियों को भेजा.
पन्नालाल के घर से गिरफ्तार हुए थे योगेंद्र साव
पन्नालाल की तलाश पुलिस को बहुत पहले से थी. उसके सहयोगी बाबा बामदेव के पकड़े जाने के बाद वह चर्चा में आया था. लेकिन, उसके नाम की चर्चा सबसे अधिक तब हुई थी, जब उग्रवादी संगठन बनाने के आरोपी पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. सीआइडी की टीम ने योगेंद्र साव को पन्नालाल महतो के घर से गिरफ्तार किया था. खूंटी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद पन्नालाल महतो ने पुलिस के समक्ष यह भी स्वीकार किया था कि उसके संबंध झारखंड के कई राजनेताओं से हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement