शिक्षाविदों एवं विद्वानों का मत एजेंसियां, नयी दिल्लीवैज्ञानिक वास्तविकताओं के आलोक में वैदिक भारत को पुन:स्थापित करने और वैदिक दर्शन में रुचि जगाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए देश विदेश के विभिन्न शिक्षाविदों एवं संतों ने नयी पीढ़ी में वेदों के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत बतायी. फाउंडेशन फॉर वैदिक इंडिया और महर्षि वेद व्यास प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न शिक्षाविदों एवं विद्वानों ने वैदिक ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला. यूरोपियन सेंटर फार पार्टिकिल फिजिक्स के शोधार्थी एवं भौतिकविद डॉ जान हेगलिन ने कहा कि विज्ञान के युग में वैदिक दर्शन, योग और ध्यान का महत्व स्थापित हो चुका है. भारत इसकी जन्मस्थली रही है, ऐसे में फिर से वैदिक भारत को पुन: स्थापित करने की जरूरत है. डॉ बेवन मोरिश ने कहा कि वेद आधारित शिक्षा आचारद्व व्यवहार एवं नैतिकता के विकास के लिए महत्वपूर्ण है. किसी भारतीय छात्र को इससे वंचित नहीं होना चाहिए. यह न केवल सजगता को बढ़ावा देता है, बल्कि मस्तिष्क की क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक होता है. इसके साथ छात्र जीवन की गुणवत्ता को नैसर्गिक कानून के अनुरूप सौहार्दपूर्ण ढंग से बढ़ावा देता है. स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद ने कहा कि गणित, भौतिकी, प्रबंधन, कम्प्यूटर विज्ञान केवल मस्तिष्क के कुछ हिस्सों पर ही केंद्रित होते हैं, ऐसे में छात्र की संपूर्ण क्षमता एवं ज्ञान का विकास नहीं हो पाता है. वैदिक ज्ञान इस दिशा में छात्रों की सम्पूर्ण क्षमता का विकास करने में सहायक होता है.
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नयी पीढ़ी के लिए वेदों का ज्ञान जरूरी
शिक्षाविदों एवं विद्वानों का मत एजेंसियां, नयी दिल्लीवैज्ञानिक वास्तविकताओं के आलोक में वैदिक भारत को पुन:स्थापित करने और वैदिक दर्शन में रुचि जगाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए देश विदेश के विभिन्न शिक्षाविदों एवं संतों ने नयी पीढ़ी में वेदों के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत बतायी. फाउंडेशन फॉर वैदिक इंडिया और महर्षि वेद […]
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