रांची: मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कार्य योजना तैयार करें. अन्य राज्यों में जारी योजनाओं का अध्ययन कर झारखंड के लिए स्पष्ट, पारदर्शी व प्रभावी योजना तैयार करें. व्यय व बजट की समीक्षा भी करें.
ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में रहनेवाले बीपीएल व एपीएल परिवार का सर्वेक्षण करें, ताकि जिन परिवारों को सुविधा दी जानी है, उसका सही निर्धारण हो सके. इसमें जनगणना 2011 व शहरी क्षेत्र में कराये गये सामाजिक आर्थिक जाति सर्वे के प्रतिवेदन का इस्तेमाल करें. श्री शर्मा मंगलवार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अनुपालन के विषय पर बैठक कर रहे थे.
मुख्य सचिव ने कहा कि जन शिकायत के लिए नोडल अफसर तय हों. जिला स्तर पर भी शिकायत के निवारण के लिए पदाधिकारी का चयन किया जाये. बैठक में खाद्य आपूर्ति सचिव अजय कुमार सिंह ने वर्तमान जन वितरण प्रणाली पर विस्तृत प्रतिवेदन दिया. उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में 86.48 प्रतिशत व शहरी क्षेत्र में 60.20 प्रतिशत (कुल 80.16 प्रतिशत) लोगों को यह सुविधा दी जानी है. यह देश में मणिपुर के बाद अधिकतम है. इसमें गर्भवती माताओं तथा 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है. अधिनियम के तहत परिवार की वरिष्ठतम महिला, जो 18 वर्ष से अधिक की हो, को परिवार के मुखिया के रूप में चिह्न्ति किया जाना है. यदि किसी परिवार में 18 वर्ष से अधिक की महिला नहीं हो, तो वरिष्ठ पुरुष सदस्य को परिवार का मुखिया माना जायेगा. बैठक में विकास आयुक्त एके सरकार, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव आरएस पोद्दार, मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव डीके तिवारी, समाज कल्याण सचिव मृदुला सिन्हा, नगर विकास सचिव एके सिंह आदि मौजूद थे.