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किताब खरीद की जांच करेगी कमेटी
रांची: वर्ष 2012-13 में मुफ्त किताब बांटने के लिए हुए टेंडर की जांच कराने के लिए सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर विकास आयुक्त, वित्त सचिव और शिक्षा सचिव की त्रिसदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी को रिपोर्ट सौंपने के लिए छह सप्ताह […]
रांची: वर्ष 2012-13 में मुफ्त किताब बांटने के लिए हुए टेंडर की जांच कराने के लिए सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर विकास आयुक्त, वित्त सचिव और शिक्षा सचिव की त्रिसदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी को रिपोर्ट सौंपने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है.
पूर्व मुख्य सचिव सह झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष आरएस शर्मा ने परिषद की बैठक में इस मामले पर वित्त विभाग द्वारा उठायी गयी आपत्तियों के मद्देनजर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. वित्त विभाग ने भुगतान के मामले में टेंडर की शर्तो में तब्दीली सहित अन्य मुद्दों पर गंभीर आपत्तियां की थी. दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की बात कही गयी थी. शिक्षा विभाग के तत्कालीन सचिव के विद्यासागर ने मामले की सीबीआइ या निगरानी जांच कराने की अनुशंसा की थी, मगर तत्कालीन हेमंत सोरेन की सरकार ने कमेटी के माध्यम से जांच कराने का फैसला किया था. जांच कमेटी गठित भी की गयी थी, परंतु उस जांच कमेटी ने कभी कोई बैठक नहीं की. सरकार को अब तक जांच रिपोर्ट भी नहीं सौंपी गयी. अब सरकार ने उस कमेटी को भंग करते हुए समय निर्धारित कर नयी जांच कमेटी को काम सौंपा है.
सीवीसी के निर्देश पर रोका गया था भुगतान
पिछले साल झारखंड के सरकारी स्कूलों के 55 लाख बच्चों के लिए 99.2 करोड़ रुपये का टेंडर नेशनल प्रिंटर और भार्गव भूषण प्रेस को दिया गया था. टेंडर में भारी घपला किये जाने की शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को की गयी थी. मामला परियोजना परिषद में भी रखा गया था. केंद्रीय सतर्कता आयोग ने झारखंड शिक्षा परियोजना से टेंडर से संबंधित सभी जानकारी मांगी थी. आयोग द्वारा टेंडर की जांच कराने और भुगतान रोकने का निर्देश दिया गया था. किताबों के लिए 65 फीसदी राशि भारत सरकार द्वारा दी जाती है.
तत्कालीन शिक्षा सचिव पर हैं गंभीर आरोप
तत्कालीन शिक्षा सचिव बीके त्रिपाठी पर मामले में गंभीर आरोप हैं. उन पर एक खास कंपनी को किताबों का टेंडर देने के लिए शर्तो में व्यापक फेर-बदल का आरोप है. टेंडर के बाद प्रकाशकों को लगभग 30 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा लगायी गयी रोक के कारण शेष राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है. आयोग के निर्देश पर भारत सरकार ने झारखंड को पत्र लिख कर पूछा था कि एक साल में टेंडर 45 करोड़ से बढ़ कर 99 करोड़ कैसे हो गया.
मुख्यमंत्री ने किताब खरीद में हुई गड़बड़ी के लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनायी है. कमेटी को छह सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.
संजय कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव
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