रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में हार के बाद यूपीए गंठबंधन में शामिल दल पस्त हो गये हैं. चुनाव हुए एक माह से अधिक हो गया है, लेकिन अब तक यूपीए में शामिल दलों ने हार की समीक्षा तक नहीं की है. ये पार्टियां हार की समीक्षा करने से कतरा रही हैं. कांग्रेस, राजद और जदयू में विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. इन दलों के नेता हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे हैं.
राजद और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष अपने क्षेत्र में ही जमे हुए हैं. आगे की रणनीति को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. हालांकि कांग्रेस जनता का विश्वास जीतने के लिए संगठन को मजबूत करने में जुटी है, लेकिन उनकी ओर से भी हार की समीक्षा को लेकर बैठक नहीं बुलायी गयी है. सरकार को घेरने को लेकर भी योजना नहीं बनायी जा रही है. प्रमुख विपक्षी दल झामुमो और झाविमो केंद्र सरकार की ओर से लाये गये भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ सड़क पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं. राजभवन के समक्ष धरना भी दिया. अब कांग्रेस भी भूमि अधिग्रहण को लेकर प्रखंड से लेकर प्रदेश तक आंदोलन की बात कर रही है, लेकिन अभी तक कार्यक्रम की तिथि भी नहीं तय हुई है.
विधानसभा चुनाव में राजद और जदयू का खाता तक नहीं खुल पाया. प्रदेश अध्यक्ष से लेकर सभी पूर्व विधायक चुनाव हार गये. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में राजद के पांच और जदयू के दो विधायक चुनाव जीते थे. इस बार चुनाव से पहले जदयू के विधायक गोपाल कृष्ण पातर ने पाला बदल के भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा की ओर से टिकट नहीं मिलने पर इन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इधर कांग्रेस की स्थिति लोकसभा चुनाव से ही खराब है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला. वहीं विधासनभा चुनाव में इनकी संख्या घट कर आधी रह गयी है. कांग्रेस के छह विधायक ही चुनाव जीत कर आये हैं.
राजद का विवाद लालू दरबार पहुंचेगा
प्रदेश राजद की ओर से विधानसभा चुनाव के बाद कोई गतिविधि नहीं होने को लेकर कई नेता नाराज है. इनका कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष अपने क्षेत्र में ही जमे हुए हैं. संगठन को एकजुट करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. इसकी शिकायत राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के पास पहुंचायी जायेगी.
चुनाव में भी नहीं थे एकजुट
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, राजद, जदयू में गंठबंधन तो हुआ था, पर दलों की ओर से गंठबंधन धर्म का पालन नहीं किया गया. कई सीटों पर गंठबंधन में शामिल दल एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे.