रांची: एक एजेंट द्वारा वित्त सलाहकार बन कर सहकारी बैंक को 1.10 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने और 36.77 लाख रुपये कमीशन लेने का मामला पकड़ में आया है. यूटीआइ ने सरकार को पत्र लिख कर वित्त सलाहकार को कमीशन देने की पुष्टि की है. इसके बाद से एजेंट सह वित्त सलाहकार अपने ठिकाने से गायब है.
सहकारिता विभाग द्वारा की गयी जांच में पाया गया कि दुमका सेंट्रल को–ऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों ने वर्ष 2008 में 6.5 करोड़ रुपये का असुरक्षित निवेश किया था. बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने दीपक कुमार झा को वित सलाहकार सह निवेश करने के लिए बनी समिति में आमंत्रित सदस्य भी बनाया. सलाहकार ने रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर यूटीआइ इंफ्रा स्ट्रक्चर एडवांस फंड(सीटीज–वन) में 23 जनवरी 2008 को तीन करोड़ रुपये का निवेश किया. फिर 31 मार्च 2008 को लांग टर्म एडवांस प्लान में 10 साल के लिए 3.5 करोड़ रुपये का निवेश किया.
इसके लिए सरकारी अनुमति नहीं ली. जनवरी में किये गये निवेश से बैंक को 1.10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सरकार ने इसकी जांच शुरू की. इस दौरान यूटीआइ से निवेश कराने वाले एजेंट के बारे में जानकारी मांगी. यूटीआइ ने सूचित किया कि निवेश कराने वाले एजेंट को 36.77 लाख रुपये बतौर कमीशन दिये गये हैं. कमीशन की रकम का भुगतान उसके खाते में की गयी है. यूटीआइ के इस जवाब के बाद सरकार ने बैंक के वित्त सलाहकार बने एजेंट की तलाश की. वह अपने ठिकाने पर नहीं पाया गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने सभी सहकारी बैंकों द्वारा किये गये निवेश की विस्तृत जानकारी मांगी है.