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संशय में झाविमो, निगाह यूपीए-एनडीए दोनों पर

रांची: झाविमो के अंदर भाजपा के साथ संबंध को लेकर संशय की स्थिति है. झाविमो सरकार में शामिल होना चाहती है, लेकिन आजसू की तरह भाजपा के साथ जाना चाहती है. भाजपा ने झाविमो को विलय की शर्त रखी है, वहीं पार्टी के कई नेता विलय के पक्ष में नहीं है. बाबूलाल मरांडी ने भी […]

रांची: झाविमो के अंदर भाजपा के साथ संबंध को लेकर संशय की स्थिति है. झाविमो सरकार में शामिल होना चाहती है, लेकिन आजसू की तरह भाजपा के साथ जाना चाहती है. भाजपा ने झाविमो को विलय की शर्त रखी है, वहीं पार्टी के कई नेता विलय के पक्ष में नहीं है. बाबूलाल मरांडी ने भी इसको लेकर फिलहाल ना कर दिया है.

झाविमो सरकार में समर्थन देने के लिए राजी है, लेकिन वह विलय नहीं करना चाहती. सरकार को समर्थन देने के एवज में मंत्रिमंडल में दो बर्थ चाह रही है. वहीं पार्टी का एक खेमा कांग्रेस के साथ भी गंठबंधन का प्लॉट बनाने में लगा है. झाविमो के अंदर कुछ नेताओं का मानना है कि एनडीए से बेहतर विकल्प यूपीए होगा. झाविमो ने फिलहाल दोनों कार्ड लेकर आगे बढ़ रहा है. कांग्रेस के साथ गंठबंधन कर सरकार को घेरने और फिर इसका लाभ लेने की कोशिश होगी. झाविमो सरकार के विरोध में मुख्य धुरी बनने की रणनीति पर काम करना चाहता है.

रहा है कांग्रेस से गंठबंधन
झाविमो का कांग्रेस से पहले भी गंठबंधन रहा है. 2009 का विधानसभा चुनाव पार्टी कांग्रेस के साथ ही मिल कर लड़ी थी. कांग्रेस के साथ मिल कर झाविमो आदिवासी और अल्पसंख्यक वोट बैंक को गोलबंद करना चाहता है.
नाराज चल रहे हैं प्रवीण
पार्टी के अंदर अनिर्णय की स्थिति को लेकर एक खेमा नाराज चल रहा है. महासचिव प्रवीण सिंह ने पार्टी से दूरी बन ली है. वह पार्टी की गतिविधियों से अपने को दूर कर रहे हैं. सूचना के मुताबिक श्री सिंह पार्टी से अलग हट कर गैर राजनीतिक संगठन के लिए काम करेंगे. पूछने पर उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों की स्थिति एक है. राजनीतिक गतिविधियों से कुछ दूर अलग रहना चाहता हूं.

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