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झारखंड सरकार का 13.3 करोड़ रुपये फंसा

रांची: हजारीबाग जिले की विभिन्न राइस मिलों में करीब 62 हजार क्विंटल चावल पड़ा है, जिसे लेने से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) इनकार कर रहा है. सूत्रों के अनुसार इस चावल का रंग लाल है. इसकी गुणवत्ता को लेकर सवालिया निशान लगाया जा रहा है. यहीं कारण है कि निगम इसकी खरीद नहीं कर रहा […]

रांची: हजारीबाग जिले की विभिन्न राइस मिलों में करीब 62 हजार क्विंटल चावल पड़ा है, जिसे लेने से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) इनकार कर रहा है. सूत्रों के अनुसार इस चावल का रंग लाल है. इसकी गुणवत्ता को लेकर सवालिया निशान लगाया जा रहा है. यहीं कारण है कि निगम इसकी खरीद नहीं कर रहा है.

इससे राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के पदाधिकारी भी परेशान है. यदि एफसीआइ ने चावल नहीं लिया, तो इसकी लागत नहीं आयेगी. गौरतलब है कि सरकार ने खरीफ-12 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1250 रु तय किया है. एफसीआइ को इससे निकला चावल 2147 रु प्रति क्विंटल की दर से दिया जाना है. इस तरह करीब 13.3 करोड़ रु का चावल फंस गया है.

इतनी बड़ी मात्र में चावल खराब होना चिंता का विषय है. धान खरीद की तय प्रकिया के तहत लैंप्स-पैक्स किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदते हैं. किसानों को यहीं चेक से भुगतान कर दिया जाता है. इसके बाद इस धान को राइस मिल भेज दिया जाता है. धान की मिलिंग (कुटाई) होने के बाद चावल राज्य भर के एफसीआइ गोदामों में भेज दिया जाता है. ऐसे में अब जिला आपूर्ति पदाधिकारी व जिला सहकारिता पदाधिकारी सहित जिला प्रशासन व राइस मिल मालिकों पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने पूरी प्रक्रिया की ठीक से मॉनीटरिंग नहीं की.

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