रांची: झारखंड सरकार ने गंगा नदी के पानी को गांवों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है. इस पानी से राज्य के आठ जिलों की ग्रामीण आबादी की जरूरत पूरी होगी. केंद्र सरकार और विश्व बैंक की ओर से टय़ूबवेल पर लोगों की निर्भरता कम करने और नदियों के सरफेस वाटर पर आधारित जलापूर्ति योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का निर्देश दिया गया है. गंगा वाटर ग्रिड योजना के तहत साहेबगंज, दुमका, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, गिरिडीह, कोडरमा और जामताड़ा के ग्रामीण इलाकों में पानी पहुंचाया जायेगा. सरकार का मानना है कि इस योजना को पूरा करने में छह हजार करोड़ की लागत आयेगी. गुजरात की नर्मदा नदी ग्रिड योजना और अन्य राज्यों की तर्ज पर इस योजना को पूरा किया जायेगा.
पेयजल और स्वच्छता विभाग से योजना का नियंत्रण रांची स्थित प्रोग्राम मॉनिटरिंग यूनिट (पीएमयू) से ऑनलाइन तकनीक स्काडा ऑटोमेशन के तहत किया जायेगा. इन जिलों में 2011 की आबादी को सरकार ने आधार माना है. सभी जिलों की कुल आबादी 68.18 लाख आंकी गयी है, जिनके लिए प्रति व्यक्ति दो सौ लीटर प्रति दिन पानी की आपूर्ति करने का लक्ष्य है. पेयजल और स्वच्छता विभाग की मानें, तो इन जिलों में कुल 1550.77 मिलियन लीटर पानी प्रति दिन की आवश्यकता होगी. पर, सरकार की ओर से 22.36 प्रतिशत जनसंख्या की बढ़ोतरी के हिसाब से 2836.79 एमएलडी पानी की जरूरत होगी. आंकड़ों के हिसाब से 2013 की तुलना में 2013 में पीने के पानी की जरूरत इन जिलों में ढाई गुना से अधिक बढ़ जायेगी.
सरकार ने इस योजना के लिए प्राथमिकता के तहत सलाहकार की नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. सलाहकार कंपनियों का जल्द मनोनयन कर लिया जायेगा. सलाहकार कंपनी से सरकार टोपोग्राफिकल सर्वेक्षण, जियो हाइड्रोलाजिकल, जियोटेक्निकल जांच भी करायेगी. इसके अतिरिक्त सभी जिलों तक पानी पहुंचाने के लिए आधारभूत संरचना तैयार करने. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड (पीपीपी) के आधार पर योजना को पूरा करने, योजना का रख-रखाव, पर्यावरण पर योजना का असर, भूमि अधिग्रहण, विभिन्न अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए मदद करने, निविदा आमंत्रित करने जैसी रिपोर्ट तैयार कराया जायेगा.