रांची: भगवान जगन्नाथ शुक्रवार को मौसीबाड़ी से मुख्य मंदिर आ गये. इससे पूर्व रथ की भव्य सजावट की गयी. घुरती रथयात्र से पूर्व भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र स्वामी 10 जुलाई को मौसीबाड़ी पहुंचे थे.
शुक्रवार सुबह छह बजे से दोपहर 2.30 बजे तक मौसीबाड़ी मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा. दोपहर 2.30 बजे मौसीबाड़ी में विग्रहों का दर्शन बंद कर दिया गया. इसके बाद एक-एक कर विग्रह को रथारूढ़ किया गया. रथ के ऊपर माइक पकड़े मंदिर के पुजारी ब्रज भूषण नाथ मिश्र यात्र का संचालन कर रहे थे. उनके साथ चवर पकड़े ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव सहित सभी पुजारी जयकारा लगा रहे थे.
शाम 6.30 बजे सभी विग्रहों को मुख्य मंदिर पहुंचा.
द्वार पर लक्ष्मी जी का गुस्सा चरम पर था
द्वार पर पहुंचते लक्ष्मी जी का गुस्सा चरम पर था. इसलिए भगवान जगन्नाथ को अंदर घुसने की इजाजत नहीं मिली. कारण यह था कि भगवान जगन्नाथ लक्ष्मी जी को छोड़ कर मौसीबाड़ी चले गये थे. इस कारण लक्ष्मी जी काफी नाराज थीं. काफी मान-मनौव्वल के बाद भगवान को अंदर आने की इजाजत मिली. यह वाद-विवाद करीब एक घंटे तक चला. इसके लिए लक्ष्मी जी की ओर से एक पुजारी और भगवान जगन्नाथ की तरफ से दूसरे पुजारी में वाकयुद्ध हो रहा था. इसके बाद सभी विग्रहों की एक साथ आरती की गयी.