रांची: राजधानी की सफाई व्यवस्था बदहाल है. गली मुहल्लों में कचरे का अंबार लगा हुआ है. नालियां कचरे से बजबजा रही है. इसके लिए कर्मचारियों की कमी का रोना रोया जाता है. जबकि शहर के कई वीवीआइपी ऐसे भी हैं जिनके घरों कीसफाई के लिए कहीं पांच तो कहीं 25 कर्मचारियों को निगम द्वारा लगाया गया है.
किसके यहां कितने कर्मचारी
रांची नगर निगम द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार राजभवन में निगम के 29 कर्मचारी, पूर्व मुख्यमंत्री आवास में सात कर्मचारी, गुरुजी आवास में पांच कर्मचारी, हेमंत सोरेन के आवास में पांच कर्मचारी व सुदेश महतो के आवास में तीन कर्मचारियों को प्रतिनियुक्त किया गया है. वार्ड नं एक व दो के पार्षदों ने बताया कि उनके वार्ड में साफ सफाई के लिए 25 से अधिक रेजा को रखा गया है. परंतु उसमें भी मात्र सात ही सड़क पर झाड़ू लगाती हैं, अन्य 18 रेजा भी वीवीआइपी के घरों में ही झाड़ू-पोंछा का काम करती हैं.
निगम में कर्मचारियों का टोटा
1970 में जहां निगम कर्मचारियों की संख्या 1330 थी, वहीं अब कर्मचारियों की यह संख्या घट कर 640 बच गयी है. 1970 में जहां शहर की आबादी महज दो लाख थी, अब जनसंख्या बढ़ कर 12 लाख तक हो गयी है. वर्तमान में रांची नगर निगम में कर्मचारियों का टोटा है, लेकिन वीवीआइपी के घरों में निगम की ओर से 50 से अधिक कर्मचारी साफ -सफाई के लिए लगाये गये हैं.
एटूजेड को हटाने की मांग : महानगर युवा जदयू ने शहर की सफाई में लगाये गये एटूजेड कंपनी को हटाने की मांग की है. अध्यक्ष कुंदन हेमरोन ने कहा कि शहर में कचरे का अंबार लगा है, लेकिन सफाई नहीं हो रही है. इससे पहले पार्टी ने यूपीए सरकार का पुतला दहन किया. पुतला दहन कार्यक्रम में विद्या मुंडा, राकेश् विश्वकर्मा, रोबिन हेमरोम, उपेंद्र रजक, राजेंद्र राम, सागर कुमार समेत कई लोग शामिल थे.